रालोद, आप ने बजट को अव्यवहारिक व जनविरोधी दिया करार

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अवधनामा संवाददाता

रालोद 7 फरवरी को बजट के विरोध में करेगा प्रदर्शन

सहारनपुर। केन्द्र सरकार के आम बजट पर रालोद, आप व व्यापारिक संगठन ने कड़ी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बजट किसी भी रूप से जनहितकारी नहीं है और इससे आम जनमानस को कोई लाभ होने वाला नहीं है। रालोद बजट के विरोध में 7 फरवरी को विरोध प्रदर्शन भी करेगा।
राष्ट्रीय लोक दल के जिलाध्यक्ष राव कैसर सलीम ने बजट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसान 2023-24 के बजट से बड़ी आस लगाए बैठा था। 2024 में चुनाव है। किसान को आशा थी की चुनावी वर्ष होने के कारण केंद्र सरकार किसान को कुछ राहत अवश्य देगी, लेकिन प्रस्तुत बजट से किसान को निराशा व हताशा हाथ लगी है। उन्होंने कहा कि किसान कर्ज नहीं चाहता, बल्कि कर्ज से छुटकारा चाहता है। यह सरकार किसानों को कर्ज के बोझ तले दबाकर उसकी जमीन नीलाम कर पूजीपतियों को सौंपना चाहती है। किसान को अपनी उपज का लाभकारी मूल्य निर्धारित समय में चाहिए। गृहणियों का रसोईं का बजट गड़बड़ा गया है। मजदूरों को मनरेगा में बजट घटाकर छलने का काम किया है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि इस बजट के खिलाफ आगामी 7 फरवरी को एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने मांग की कि सरकार को इस बजट पर पुनर्विचार करना चाहिए।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य एवं पूर्व जिला अध्यक्ष योगेश दहिया ने केंद्र सरकार के आम बजट को पूरी तरह अव्यवहारिक जन विरोधी करार देते हुए कहा कि सरकार ने अपने बजट में शिक्षा स्वास्थ्य के बजट को भी घटा दिया है, जो सरकार की नाकामी का परिचायक है। दहिया ने कहा कि सरकार का यह बजट अमृत काल का है और पूरी तरह 2024 के होने वाले लोकसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए तैयार किया गया है। क्योंकि पूर्व में शिक्षा का बजट 2.64 प्रतिशत था, लेकिन इस बार सरकार ने से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है और इसी प्रकार स्वास्थ्य बजट का 2.2 प्रतिशत से घटाकर 1.98 प्रतिशत कर दिया गया है। पहले किसानों पर 14 लाखों रुपए का कर्ज है, जिसे बढ़ाकर 20 लाख करोड़ कर दिया गया है। उन्होंने सरकार के निशुल्क खाद्य वितरण योजना पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि देश की दो तिहाई जनता 5 किलो राशन पर जिंदगी का गुजर बसर कर रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी और कॉरपोरेट टैक्स में भी भारी अंतर है एक और जहां जीएसटी 19 प्रतिशत है तो वहीं कारपोरेट पर जीएसटी 17 प्रतिशत है। साथ ही कारपोरेट जगत को छोड़ दी जाती है जबकि अन्य लोगों को जीएसटी में कोई छूट नहीं मिलती, जिससे सफलता के सरकार की नीति और नियत साफ नहीं है।
सोहराब रोड सुपर मार्केट व्यापार मण्डल के महामंत्री रमीज सिद्दकी ने भी बजट को पूरी तरह निराशाजनक बताते हुए कहा कि रोजगार समाप्त हो रहे है। करो में लगातार वृद्धि की जा रही है। कोरोना काल के पश्चात से अभी तक व्यापारी मंदी की मार से उभर नहीं पाया है और सरकार आये दिन करो में वृद्धि कर व्यापारियों को बोझ तले दबाने का काम कर रही है। उन्होने कहा कि व्यापारियों को इस वर्ष आशा थी कि सरकार चुनाव के मद्देनजर बजट में व्यापारियों को राहत देने का काम करेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया, जिससे कि बजट को संतोषजनक कहा जा सकें और वह व्यापारियांे के लिए राहत भरा हो।

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