आरजी कर अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों को लेकर कोलकाता पुलिस ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस ने करीब एक हजार सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को चिह्नित किया है, जिन्होंने इस घटना से संबंधित बिना प्रमाण के गलत जानकारी फैलाई थी। इनमें से कई लोगों को पहले ही लालबाजार में पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
पिछले सप्ताह शुक्रवार को आरजी कर अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना सामने आई थी। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इस घटना से संबंधित भ्रामक और असत्यापित जानकारी फैलने लगी। कभी पीड़िता के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से संबंधित गलत तथ्य, तो कभी किसी जूनियर डॉक्टर को संभावित आरोपित के रूप में दर्शाया गया। इस भ्रामक जानकारी के कारण कई लोगों में भ्रम और भय का माहौल बन गया।
इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सुखेंदुशेखर राय को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है, जिससे साफ है कि पुलिस इस मामले में किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं है। वहीं, तृणमूल के एक पूर्व मंत्री के बेटे को भी गलत तरीके से इस मामले में जोड़ा गया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। बाद में पूर्व मंत्री ने सफाई दी कि उनका बेटा आरजी कर अस्पताल में कार्यरत नहीं है, बल्कि पांशकुड़ा में कार्यरत है।
कोलकाता पुलिस ने इस मामले में पहले ही चेतावनी दी थी कि बिना प्रमाण के इस प्रकार की अफवाहें फैलाना न केवल खतरनाक है, बल्कि इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया था कि ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस चेतावनी के बाद पुलिस ने पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर गलत जानकारी पोस्ट करने वाले लगभग 50 लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया है। इनसे जानकारी मांगी गई कि उन्होंने जो भी जानकारी सोशल मीडिया पर डाली, उसके लिए उनके पास क्या सबूत हैं। कई लोगों ने बाद में स्वीकार किया कि उन्होंने बिना जांचे-परखे ही यह पोस्ट की थी और इसके लिए उन्होंने माफी भी मांगी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब तक करीब एक हजार और लोगों को इस मामले में चिह्नित किया गया है और जल्द ही उन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। पुलिस इस मामले को लेकर काफी गंभीर है और किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के मूड में है।