अवधनामा संवाददाता
प्रसव और गर्भपात पश्चात आईयूसीडी या नसबंदी का चुनाव श्रेष्ठ
गोरखपुर । प्रसव व गर्भपात के लिए जो भी लाभार्थी आती हैं उन्हें पीपीआईयूसीडी व पीएआईयूसीडी लगवाने और परिवार पूरा होने पर नसबंदी के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए । दोनों स्थितियों में इन दोनों साधनों का चुनाव श्रेयस्कर होता है । जब लाभार्थी अस्पताल में आएं तो उसी समय उन्हें इन साधनों की महत्ता और प्रसव एवं गर्भपात की स्थिति में इनके चुनाव की महत्ता से अवगत करा दिया जाना चाहिए । इस कार्य में परिवार नियोजन काउंसलर के अलावा विशेषज्ञ महिला चिकित्सक, नर्स मेंटर, लेबर रुम इंचार्ज व एएनएम की भूमिका अहम है ।
यह बातें जिला महिला अस्पताल के कार्यवाहक प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ जय कुमार ने कहीं । वह जिला महिला अस्पताल में परिवार नियोजन कार्यक्रम की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। बैठक का आयोजन स्वयंसेवी संस्था पीएसआई इंडिया के सहयोग से किया गया ।
बैठक के दौरान संस्था के प्रतिनिधियों ने जिला महिला अस्पताल के कार्यवाहक अधीक्षक को अवगत कराया गया कि अस्पताल में औसतन 600-700 संस्थागत प्रसव प्रति माह होता है । इनमें से औसतन 50 से 80 महिलाएं पीपीआईयूसीडी की सेवा लेती हैं, जबकि एक दो महिलाएं ही नसबंदी करवा रही हैं। अगर इनको प्रसव कक्ष में आने के साथ ही दोनों साधनों का महत्व समझा दिया जाए तो अधिकाधिक महिलाएं इसका लाभ ले सकती हैं। इसी प्रकार प्रति माह के औसतन 20 गर्भपात के सापेक्ष एक से दो महिला नसबंदी या पीएआईयूसीडी की सेवाएं अपनाई जा रही हैं।
कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने जिला महिला अस्पताल के प्रतिभागियों से कहा कि वह लाभार्थियों को बताएं कि प्रसव के लगभग डेढ़ माह बाद महिला के पुनः गर्भधारण की आशंका बढ़ जाती है । ऐसे में प्रसव के 48 घंटे के भीतर या प्रसव के छह सप्ताह बाद तक पीपीआईयूसीडी अपना कर दो बच्चों में अंतराल रखा जा सकता है । गर्भपात होने के बाद तुरंत या बारह दिन के अंदर पीएआईयूसीडी लगवाई जा सकती है, बशर्ते आयूसीडी का संक्रमण या चोट न लगा हो । दोनों साधन 10 साल तक गर्भनिरोधन के लिए भी अपनाए जा सकते हैं । जिनका परिवार पूरा हो चुका है, वह भी इन साधनों का इस्तेमाल कर सकते हैं । इन दोनों साधनों का इस्तेमाल चिकित्सकीय स्क्रिनिंग व परामर्श के आधार पर ही किया जाना चाहिए। अगर लाभार्थी दोनों साधनों के लिए पात्र नहीं है और परिवार पूरा हो गया हो तो महिला नसबंदी के लिए प्रेरित करना है ।
बैठक में शहरी स्वास्थ्य मिशन की मंडलीय समन्वयक डॉ प्रीति सिंह, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक पंकज आनंद, हॉस्पिटल के क्वालिटी मैनेजर डॉ कमलेश, हेल्प डेस्क मैनेजर अमरनाथ जायसवाल, परिवार नियोजन काउंसलर ज्योति, पीएसआई इंडिया संस्था की प्रतिनिधि कृति पाठक व प्रियंका सिंह ने प्रमुख तौर पर प्रतिभाग किया ।
तो अपनाएं महिला नसबंदी
डॉ कुमार ने बताया कि परिवार पूरा हो जाने पर महिला नसबंदी सर्जिकल गर्भपात के तुरंत बाद या सात दिन के भीतर, जबकि चिकित्सकीय गर्भपात अगले माहवारी आने के एक से सात दिन के भीतर परिवार पूरा होने की स्थिति में अपनाई जा सकती है । सामान्य प्रसव की स्थिति में प्रसव के 72 घंटे के भीतर और सर्जरी से प्रसव की स्थिति में सर्जरी के साथ ही नसबंदी करानी चाहिए। दोनों नसबंदी की सफलता की संभावना अपेक्षाकृत ज्यादा होती है।