कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने प्रदेश की विधानसभा में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ पारित प्रस्ताव को अतिक्रमण की रक्षा करने वाला कदम बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री सिद्दरमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने बलपूर्वक इस बिल को पारित कराया है।
सिद्दरमैया सरकार जमीन माफियाओं की रक्षा करना चाहती है
भाजपा नेता विजयेंद्र ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ बलपूर्वक एक बिल पारित करा लिया। उनका मकसद साफ है। जब मोदी वक्फ में पारदर्शिता लाना चाहते हैं तो सिद्दरमैया सरकार जमीन माफियाओं की रक्षा करना चाहती है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर जमीनें हड़पने का आरोप लगाया।
भाजपा जनता के सामने ऐसे घोटालों का पर्दाफाश करेगी
साथ ही कहा कि भाजपा जनता के सामने ऐसे घोटालों का पर्दाफाश करेगी। अल्पसंख्यकों को चार प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले की आलोचना को लेकर कहा कि तुष्टीकरण की यह राजनीति क्यों की जा रही है। इससे पहले, 19 मार्च को कर्नाटक के विपक्ष के नेता आर.अशोक ने इस प्रस्ताव पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। यह प्रस्ताव कर्नाटक के कानून मंत्री एचके पाटिल ने प्रस्ताव पेश किया था।
वक्फ बिल में बदलाव को कैबिनेट की मंजूरी
वक्फ (संशोधन) विधेयक में प्रस्तावित बदलावों को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसमें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा हाल में सुझाए गए संशोधनों को शामिल किया गया है। अब इस विधेयक को बजट सत्र के दूसरे भाग में चर्चा और पारित करने के लिए संसद में पेश किया जाएगा, जो 10 मार्च से चार अप्रैल तक चलेगा। भाजपा के कई शीर्ष नेताओं ने दावा किया है कि बजट सत्र के दौरान ही विधेयक पारित होने की संभावना है।
14 संशोधनों को स्वीकार किया गया
सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने 19 फरवरी को हुई बैठक में जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति द्वारा सुझाए गए 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया। वक्फ (संशोधन) विधेयक में सरकार ने केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानूनों में 44 बदलावों का प्रस्ताव किया है।
13 फरवरी को रिपोर्ट संसद में पेश की गई थी
जेपीसी ने 30 जनवरी को अपनी 655 पेज की रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दी और वक्फ बिल पर कई संशोधनों का सुझाव दिया। विपक्षी सदस्यों ने इन संशोधनों पर अपनी असहमति व्यक्त की। विपक्षी दलों के हंगामे और बहिर्गमन के बीच 13 फरवरी को रिपोर्ट संसद में पेश की गई थी।