अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। अनेकों अध्यापकों ने नगर के बीच घंटाघर पर बुंदेलखड़ की महान वीरांगना एवं महारानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति झलकारी बाई की जयंती पर दीप प्रज्वलित कर के मनायी । शिक्षक मु. मुनीर ने वीरांगना झलकारी बाई के बिषय में बताया कि वीरांगना झलकारी बाई का जन्म बुंदेलखंड के एक गांव में 22 नवंबर को एक निर्धन कोली परिवार में हुआ था। उनके पिता सदोवा और माता जमुनाबाई उर्फ धनिया था। झलकारी बाई बचपन से ही साहसी और दृढ़ प्रतिज्ञ बालिका थी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, वह महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थीं। वह लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं, इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं। सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अग्रेंजी सेना से रानी लक्ष्मीबाई के घिर जाने पर झलकारी बाई ने बड़ी सूझबूझ, स्वामीभक्ति और राष्ट्रीयता का परिचय दिया था।
रानी के वेश में युद्ध करते हुए वे अपने अंतिम समय अंग्रेजों के हाथों पकड़ी गईं और रानी को किले से भाग निकलने का अवसर मिल गया। जयंती कार्यक्रम बिजी उपस्थित सभी शिक्षक /शिक्षिकाओं ने वीरांगना झलकारी बाई के चित्र पर माल्यर्पण पर दीप प्रज्वलित किये । अध्यापक राजेश साध ने बताया कि ऐसी वीरांगना के जीवन से बच्चों को परिचय कराना आज के समय में अति आवश्यक है जिससे हमारी आगामी पीढ़ी हमारी महान विभूतियों के बलिदान से प्रेरणा लें सकें। कार्यक्रम में श्याम बिहारी , बाबू सिंह राठौर , सुशील रजक , उर्वशी साहू , बबीता बुंदेला, संध्या वर्मा, ज्योति साध विनीता निरंकारी , सरला पटेल , शारदा पटेल बाबूलाल वर्मा, महेन्द्र पंथ, अनिल सिंह, गणेश नामदेव पुरुषोत्तम अहीरवार , शकील अहमद , मो.कादिर , सुशील आर्य , प्रीतम सिंह , मो. जाकिर खा , शहीद मंसूरी , सिद्धार्थ , राजेश कुमार , राजा भैया गौतम , प्रभात , विनोद , संजय , सुरेंद्र निरंकारी , राजीव शर्मा , पंचम सिंह , अमन संतोष , खालिद खान सहित अनेकों अध्यापक/अध्यापिकाएं उपस्थित रहे।