नई दिल्ली: सोमवार का दिन भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के लिए मुश्किलें लेकर आया जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नोटिस जारी कर और आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका पर शुरू की गई मध्यस्थता की कार्यवाही पर रोक लगा दी। धौनी कंपनी के ब्रांड अंबेसडर हुआ करते थे। शीर्ष अदालत ने धौनी को नोटिस भी जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फोरेंसिक आडिटर्स ने पीठ को बताया था कि आम्रपाली ग्रुप ने फ्लैट खरीदारों का पैसा डायवर्ट करने के लिए धौनी के ब्रांड को प्रमोट करने वाली रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (आरएसएमपीएल) के साथ दिखावटी समझौता किया था और 2009 से 2015 के दौरान उसे 42.22 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
धौनी ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसने 16 अक्टूबर, 2019 को अपनी पूर्व जज वीणा बीरबल को दोनों के बीच वित्तीय विवाद में मध्यस्थता करने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया था। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ को सोमवार को अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर ने धौनी और कंपनी के बीच लंबित मध्यस्थता कार्यवाही और इसकी वजह से उनके समक्ष आ रही परेशानियों के बारे में बताया।
अपने आदेश में शीर्ष कोर्ट ने कहा कि फ्लैट खरीदारों का हित सुनिश्चित करने के लिए उसने मामले पर संज्ञान लिया था और समयसीमा के भीतर आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने व खरीदारों को फ्लैटों का आवंटन सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया था।
पीठ ने कहा, ‘इसके मद्देनजर, रिसीवर के लिए ऐसी याचिकाओं पर ध्यान देना बेहद मुश्किल होगा। यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि तत्कालीन प्रबंधन या कोई और मध्यस्थ के समक्ष आम्रपाली ग्रुप आफ कंपनीज का प्रतिनिधित्व करेगा।’ इसी के साथ पीठ ने जस्टिस बीरबल से मध्यस्थता कार्यवाही रोकने के लिए कहा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी।