एस.एन.वर्मा
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दुनियां की बिगड़ती भू-भौलिक हालत, यूक्रेन युद्ध बढ़ती महंगाई, मुद्राप्रसार में बढ़ोतरी, बाजार की बिगड़ती हालत, सबने मिलकर आरबीआई को मजबूर किया।
आरबीआई की मानीटरिंग पालसी कमेटी पर दबाव बनाया जिसने अपने निर्णय से सबको चौका दिया। सबसे जादा झटका फाइनेन्सियल मार्केट को लगा एमपीसी (मानीटरिंग पालसी कमेटी) ने रेपोरेट 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया। सीआरआर 0.50 प्रतिशत बढ़ा कर 4.50 प्रतिशत कर दिया। रेपोरेट वह होता है जिस पर बैंक आरबीआई से कर्ज़ लेते है। दो और तीन मई को आपात बैठक करके एक झटके में निर्णय लिया गया। सीधी बात है जब बैंको को कर्ज़ मंहगा मिलेगा। तो लोगो को बैंको से कर्जा मंहगा मिलेगा अब निजी कर्ज़ मंहगा होगा। फिक्स्ड डिपाजिट पर जादा व्याज मिले आरबीआई मंहगाई से लोगो को राहत देने के लिये रेट में बढ़ोतरी की है। 2018 के बाद पहली बार रेपोरिट में बढ़ोतरी की गई है। इस समय 87000 करोड़ मुद्रा बाजार में है। इसे कम करने के लिये उपरोक्त कदम उठाये गये है। भविष्य और भी ऐसे कदम उठाये जा सकते है।
रीटेल मंहगाई दर की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत से जादा बनी हुई है आरबीआई गर्वनर के मुताबिक आगे यह और बढ़ती जायेगी। यूक्रेन की युद्ध से पूर्ति बाधित हो रही है और मंहगाई बढ़ती जा रही है। इसे रोकने के लिये ही ये सब कदम उठाये गये है। विशेषज्ञों का कहना है अर्थव्यवस्था को लेकर देश और विदेश में जो हालात है उससे यही रास्ता निकलता है। सप्लाई बाधित हो रही है मंहगाई आगे बढ़ रही है। रेपोरेट के बढ़ोतरी का दौर पूरे साल चलता रहेगा। एक से एक दशमलब पचास प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है।
उम्मीद थी कि मानीटरिंग पालसी कमेटी इस साल के बाद ब्याज दर बढ़ायेगी। पर बढ़ते मुद्रा प्रसार और मुद्रप्रसार किस सीमा तक जायेगा इसकी अनिश्चितता थे आकस्मात निर्णय लेने के लिये एमपीसी को मजबूर किया। विश्व परिछश्य में भू-भौतिक अनिश्चितता ने बहुत से वस्तुओं के दाम बढ़ा दिये। खाद्य पदार्थो के दामो में उछाल की वजह से मार्च में फुटकर मुद्रा प्रसार 6.95 प्रतिशत हो गया। तेल और खाद्य पदार्थो के दाम उस समय बढ़े जब उपरोक्त सामान की कीमत छह प्रतिशत सालाना बढ़ोेतरी के करीब रहा।
लगता है एमपीसी दूसरे राउन्ड के समानो की किमतों में बढोतरी के अन्देशो से डर गई। क्योंकि फैक्ट्री सामानो की कीमत बढ़ा देगे और नौकरी पेशा लोग ऊंची तनख्वाह की मांग करने लगेगे। इसलिये दूसरे दौर के मौद्रिक समस्यायोे से निपटने के लिये और मौद्रिक स्थिति को स्थिर बनाये रखने के लिये सारे कवायद किये गये है और किये जायेगे।
इस बढ़ोतरी से लोगों पर क्या असर पड़ेगा इस पर एक नज़र डालना जरूरी है। अगर बीस साल के लिये 30 लाख का होम लोन लिया जाता है 6.80 प्रतिशत रेट पर तो इएमआई की किस्त 22900 रूपये होगी। अगर व्याज दर 7.20 प्रतिशत हो जाता है ता इएमआई 23620 रूपये हो जायेगा। अल्प अवधि के जमा पर ब्याज बढ़ने की सम्भावना अधिक है। इसलिये अल्प अवधि के लिये एफडी ले पूरी सम्भावना है शार्ट टर्म जमा के लिये व्याज दर में और बढ़ोतरी होगी। इसलिये लम्बे अवधि की एफडी से लोगो को परहेज करना चाहिये।
अचानक दरो की बढ़ोतरी से मुद्र बाजार की जायजा लेना उचित होगा बुद्धवार को बीएसई से सेक्स 1306.96 यानी 2.29 प्रतिशत कम हो कर पिछले दो महीने के निचले स्तर 5566.03 अंक पर बन्द हुआ। निफ्टी 391.50 अंक यानी 2.29 प्रतिशत टूट कर 55669.03 अंक पर बन्द हुआ। बीएसई में लिस्टेड कम्पनियां का बाजार पंजीकरण 627 लाख करोड़ रूपये घट गया। निदेशकों को 6.27 लाख करोड़ का घाटा हुआ।
कुल मिलाकर परिद्धश्य यह उभरता है कि मुद्राप्रसार अर्थव्यवस्था के लिये भारी खतरा है। आर्थिक ग्रोथ को बढ़ाने के लिये मुद्रा प्रसार पर नियन्त्रण आवश्यक कदम है। जिसे आरबीआई को उठाना ही पड़ेगा। इसके अलावा आबीआई सरकार और राज्यों पर दबाव डालेगे की वो अपना वित्तीय हालात ठीक रक्खे और ये उनकी जिम्मेदारी भी है जिससे इकनामिक ग्रोथ अनुकूल बना रहे सरकार डीजल और पेट्रोल को सस्ता करें जिससे सामान सस्ता हो। कृषि नीति ऐसी बनाई जाय जिससे खाद्य पदार्थो के बढ़ते दामों पर अंकुश लगे। उचित वित्तीय नीति ही बिगडती आर्थिक और भौतिक स्थीति को सभालेगी बाहरी विपरीत दबावों से बचायेगी।