आशा की किरन

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एस.एन.वर्मा

नव निर्वाचित कुश्ती महासंघ के चुनाव के नतीजो से महिला पहलवानों को घोर निराश हुई थी। क्योकि निर्वाचन में शासन द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नही किया गया था। कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर ऐसे आदमी को चुना गया जो बृजभूषण सिंह का बहुत करीबी है। इसके अलावा महासंघ के अन्य संस्थाओं में वही लोग लिये गये है जो बृजभूषण के अनन्य भक्त है। बृजभूषण सिंह इसे अपनी जीत प्रचारित कह रहे थे। मेरे दबदबा बना रहेगा। समस्या यह भी थी कि महासंघ और उसके अन्य संस्थाओं का संचालन पूर्व अध्यक्ष के निवास से ही चलता रहेगा। जहां महिलाओं ने अपने यौन उत्प्रीड़न का आरोप लगाया है। इसी टीम ने अन्डर 15 और 20 की राष्ट्रीय प्रतियोगिता कराने के लिये बृजभूषण के निर्वाचिन क्षेत्र गोण्डा को चुना गया। इसलिये महासंघ निर्वाचन में बृजभूषण के करीबियों का होना चिन्ता का विषय बन गया।
महिलायें जिसके खिलाफ धरना प्रदर्शन करती रही महीना भर सड़कों पर पड़ी रही बड़ी जद्दोजहद के बाद बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर हुआ पर छह महीने हो गये कोई कार्यवाई आगे बढ़ती नही दिख रही थी। साक्षी और पुनिया ने निराशा में निर्णय लेते हुये साक्षी ने रोते हुये कुश्ती प्रतियोगिताओं से सन्यास लेने की घोषणा कर दी और पुनिया ने अपना प्रदमश्री लौटाने की घोषणा कर दी। अभी और खिलाड़ी शायद इस तरह की घोषणायें करते पर खेल मंत्रालय ने नव निर्वाचित महासंघ को निलम्बित कर दिया पहलवानों में आशा की किरन जागा दी।
अब ओलम्बिक संघ को कुश्ती से जुड़े मामलों को देखने के लिये व्यवस्था तो अस्थायी है। कुश्ती महासंघ का चुनाव फिर होगा। सुनिश्चित करना बेहतर होगा कि फिर बृजभूषण कम्पनी के लोगी ही न फिर काबिज हो जाये। अगर फिर वही कम्पनी वापसी करती है तो सारी कसरत बेकार होगी और भारतीय पहलवानों की आशा पर तुषारापात होगा। फिर वहीं कम्पनी आती है तो निश्चित ही महिला पहलवानों न जो मुकाम हासिल सख्त मेहनत करके जिस तरह से राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं मेडल प्राप्त कर देश और लोगो को कार्यान्वित कर रही है उसमें भारी ब्रेेक लग जायेगा। खेल मन्त्रालय और महासंघ को महिलाओं का विश्वास अर्जित करना होगा। उनमें भरोसा जगाये कि अब उनका शोषण नही हो पायेगा। उन्हें अपने खेलोें को निखारने के लिये निश्चित वातावरण मिलेगा।
खेल संस्थायें जो चल रही है उनमें नेताओं का दखल अक्सर देखने को मिलता है। इनके अलावा कुछ शाक्तिशाली अवकाश प्राप्त ब्यूरो क्रेट भी घुसपैठ किये रहते है। खेलों के विकास के लिये यह प्रवृत्त घातक है। खेल संघों और ओलम्पिक संघो में उन्हीं व्यक्तियों को आना चाहिये जिन्होंने खेल को बढ़ाने मंे अपना योगदान दिया है। खेल के क्षेत्र में सराहनीय उपलब्धि पायी हो। जो खेल के चरित्र को समझते हो। जिन खेलो से महिलायें जुड़ी है उनके संघो में और कोचो पर अक्सर यौन शोषण के आरोप लगते रहते है। इस पर कड़ा नियन्त्रण रखना चाहिये जो लोग संदिग्ध या दोषी पाये जायंे उन्हें हमेशा के लिये कानूनी तरीके से डीबार कर दिया जाना चाहिये।
महिला पहलवानो को त्वरित न्याय दिलाने के लिये बृजभूषण के खिलाफ जो जांच चल रही है उसे तेजी से निपटाया जाना चाहिये वरना यही धारणा बनेगी कि नेताओं का दबदबा अपनी जगह है। एफआईआर के 6 महीने हो गये है। न्याय में देरी न्याय से मरहूम वाली कहावत चरितार्थ न की जाये। वीएफआई को स्पोर्ट मैनुवल का पालन करना चाहिये जो खेल महासंघो के लिये आवश्यक है। इन्हें शक्ति से जनता से पालन करना चाहिये जो खेल महासंघो के लिये आवश्यक है। इन्हें जनता से फन्ड मिलता है और वे जिम्मेदार होते है। पर बृजभूषण कम्पनी निजी व्यवस्थाय की तरह महासंघ को बृजभूषण के घर से चला रहा थे। बृजभूषण अपने निर्वाचन क्षेत्र के असरदार नेता है। कुछ विधानसभा क्षेत्रांे में उनका वर्चस्व है। इसी से बृजभूषण शक्तिशाली बने हुये है।
महासंघ का स्पोर्ट कोड के अनुसार भूमिका होती है पहलवानों के हितों की रक्षा करना। अब तक तीन पहलवानों ने अपने अवार्ड लौटाये है। विनेश ने भी पदक लौटाने की घोषणा की है। यह दर्दनाक स्थिति है। बृजभूषण ने कहा है वह कुश्ती महासंघ से अलग है अब कुश्ती ने उनका कोई नाता नहीं है। पर नये महासंघ की बैठक में वह गये थे। स्पष्टीकरण देते है वह पूर्व अध्यक्ष थे इस लिये गये थे। पर पूर्व अध्यक्ष का वहा क्या औचित्य था। वह गृहमंत्री से मिलने जा रहे है। संजय सिंह सरकार से इस विषय पर बात करने जा रहे है और न्यायालय में जाने की धमकी दे रहे है। अपने को सही करने में लगे है।
पर सरकारी रवैये से लगता है उनके प्रयास व्यर्थ जायेगे। मोदी योगी राज में सरकारी योजनाओं को अनुसार पहलवानो को उचित, न्याय, सम्मान और वातावरण मिला रहा है। इन्ही से महिलाओं में ज्योति किरन जागी है। खुदा करंे उनकी उम्मीद सफल हो और स्वतन्त्र रूप से महिला खेलो में भाग लेकर नाम कमाती रहे।

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