ब्रह्म-रवि योग, चित्रा नक्षत्र में मनेगा प्रथम पूज्य का जन्मोत्सव

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भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि, शनिवार को गणेश चतुर्थी का पर्व विभिन्न मांगलिक योग में मनाया जाएगा। गणपति बप्पा के जन्म उत्सव पर छोटीकाशी में अनेक आयोजन होंगे। सभी प्रमुख गणेश मंदिरों में इसकी शुरुआत हो भी चुकी है। आज सभी गणेश मंदिरों में सिंजारा पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि इस दिन ब्रह्म, रवि योग और चित्रा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जो इस तिथि की महत्ता को अधिक बढ़ रहा है। भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को अपराह्न 3 बजे होगी। इस तिथि का समापन सात सितंबर, शनिवार को होगा।

पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ विशिष्ट मुहूर्त सुबह 11:15 से 1:46 बजे तक, दोपहर 12:04 से 12:56 तक मध्याह्नकाल सहित वृश्चिक लग्न सर्वश्रेष्ठ रहेगा। शुभ का चौघडिय़ा 7:45 से 9:18 बजे तक, चर, लाभ, अमृत का चौघडिय़ा दोपहर 12:24 से शाम 7: 03 मिनट तक रहेगा। वास्तु शास्त्र में गणेशजी की दाईं और बायीं सूंड दोनों का महत्व है। दाईं ओर मुड़ी सूंड समृद्धि और सिद्धि की प्रचुरता से जुड़ी है, जबकि बायीं ओर मुड़ी सूंड बुद्धि और रचनात्मकता से जुड़ी है। सुखदायक ऊर्जा प्रवाह शुभदायक माना जाता है। गणेश प्रतिमा गणेशजी की प्रतिमा को विराजमान करने के लिए ब्रह्म स्थान, पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व कोण शुभ माना गया है।

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