रमज़ान : रहमतों, बरकतों, इबादतो, कुरान की तिलावत और समाज के लोगों की मदद का महीना है रमज़ान

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होती है दुआएं कबूल, देश में अमन चैन भी करें दुआ
डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। हमारे नबी ने हम सबको ये पैगाम दिया है कि यह महीना जहां एक तरफ इबादत का महीना है कुरान की तिलावत का महीना है वही दूसरी तरफ अपने समाज में उन लोगों की मदद करने का महीना भी है जिनके लिए जिंदगी गुजारना मुश्किल है ऐसे लोगों का ध्यान रखना भी जरूरी है कहीं ऐसा न हो कि इंसान सिर्फ अपने रोज़ा नमाज़ में लगा रह जाए और अपने समाज के लोगों को भूल जाए। इस महीने में रोजा रखने के साथ-साथ हमें बड़ों की इज्जत और उनका एतराम भी करना चाहिए बच्चों के साथ अच्छे अखलाक और अच्छे व्यवहार से पेश आना चाहिए और वह रिश्ते जो आपस में टूटे हुए हैं जिनमें दूरियां पाई जाती हैं उनको बनाने की उनको संवारने की और उनको नजदीक लाने की कोशिश करना चाहिए। सामाजिक स्तर पर भी काम करने की जरूरत है और अपने लिए भी अपने आप को संवारने के लिए भी काम करने की जरूरत है इन दोनों चीजों को लेकर यह महीना आया है कि जहां एक तरफ समाज को भी संवारा जाए और इबादत के जरिए अपने आप को भी संवारा जाए।
उक्त उदगार शुक्रवार को क्षेत्र के हल्लौर स्थित जामा मस्जिद में इमाम जुमा व जमात मौलाना शाहकार हुसैन ज़ैदी ने अपने खुतबे के दौरान कही उन्होंने रमजान के आमद पर तमाम मोमिनीन और तमाम आलमें इस्लाम की खिदमत में मुबारकबाद पेश करते हुए कहा कि इस महीने को हमारे नबी ने रहमत का महीना बरकत का महीना और मगफिरत का महीना कहा है और अपने खुतबे में इरशाद फरमाया है कि तुम्हारी तरफ ये रहमत, बरकत और मगफिरत का महीना आ रहा है रहमत का महीना है यानी रहमत के नुजूल का महीना है हम जितना रहमतों से फायदा उठाना चाहे उठा सकते है रहमतों को लेना चाहें ले सकते हैं जितनी नजूलों को लेना चाहें ले सकते है और इसी तरीके से बरकतों का महीना भी है इसमें अमल में बरकत रखी है नीयत में बरकत रखी है इबादत में बरकत रखी है और हर इबादत में बरकत रखी है हर कारे खैर में बरक़त रखी है ये हमारे ऊपर है कि हम बरकतों से कितना फायदा उठा सकते हैं और इसी तरीके से यह महीना मगफिरत का महीना है कि हमारे लिए बेहतरीन मौका है अपनी पिछली जिंदगी को पाक साफ बनाने के लिए।
रसूल ये भी कहा है कि वह शख्स उससे बड़ा कोई शकी नहीं हो सकता जो इस महीने में परवरदिगार की मगफिरत से महरूम रह जाए तो हमें चाहिए कि हम इस महीने के गुजरने से पहले पहले अपनी मगफिरत का इंतजाम करें अपनी तौबा का इंतजाम करें और अपने गुनाहों की माफी और बक्शीश का इंतजाम भी करें और एहतेमाम भी करें ताकि इस महीने के खत्म होने से पहले और हमारा नफ़्स और हमारी रूह एकदम पाक व पाकीज़ा हो जाये तय्यबो ताहिर हो जाये जो गुनाहों से आलूदा हो चुकी थी।
उसके अलावा इस महीने में इफ्तार कराने का बड़ा सवाब है जो इंसान किसी एक मोमिन रोजेदार को इफ्तार कराता है परवरदिगार उसके बदले में एक गुलाम आज़ाद करने का अज्र देता है और उसके तमाम पिछले गुनाह माफ हो जाते हैं उनकी मगफिरत हो जाती है लोगों ने पूछा रसूलल्लाह जो इफ्तार न करा सकता हो यानी इस तरीके से जैसे बड़े पैमाने पर तो रसूल ने कहा कि अगर एक खुरमे के दो टुकड़े करके उसके एक हिस्से से अगर इफ्तार करा सकते हो तो कराओ अगर यह भी नहीं है तो पानी पिला कर अफ्तार करा सकते हो क्योंकि यह चीज इंसान को जहन्नम से बचाती है और इसी तरीके से इस महीने में कुरान की तिलावत का बड़ा सवाल है यह महीना कुरान के नाजिल होने का महीना है कुरान के नजूल का महीना है और उसी खुतबे में रसूल इरशाद फरमाते हैं जिसे खुतबे  शाहबानिया कहा जाता है जो रसूल ने शाबान के आखिरी जुमे मे इरशाद फरमाया था कि रमजान मुबारक के आने से पहले जो इंसान इस माहे मुबारक रमजान के महीने में एक आयत की तिलावत करता है गोया के उसने पूरे कुरान की तिलावत की है उसने खत्म कुरान किया है तो हमें नमाजों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए कुरान की तिलावत की तरफ ध्यान देना चाहिए और इसी तरह से अपने समाज और अपने माशरे की तरफ ध्यान देना चाहिए ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी चाहिए कि हम किसी को अफ्तार करा सकते है तो कराएं इसी तरीके से हर एक के लिए हर एक मोमिन को हर एक बंदे मोमिन को अपनी दुआओं में हमेशा याद रखना चाहिए।
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