जनपद की रामनगर तहसील सूरतगंज ब्लॉक के बाढ़ इलाकों के गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं शून्य हैं। यहां केवल बांध तक विभाग का कैम्प लगा दिखता है, ताकि जिले से आने वाले अफसरों की निगाह जाए और उन्हें सब कुछ बेहतर दिखे। लेकिन हकीकत में गांवों के अंदर स्वास्थ्य विभाग निष्क्रिय है। वहां के लोगों को दवाओं की जरूरत हैं।
बारिश के चलते बाराबंकी से गुजरने वाली सरयू नदी में उफान आ गया था। नदी में आए उफान से नीचले ग्रामीण इलाकाें में बाढ़ के हालात हाे गए थे।अब जलस्तर घटने से हालात सामान्य हाेने लगे हैं। नदी का जलस्तर घटा है जिससे स्वास्थ्य टीम गांव जा सकती हैं। तहसील रामनगर की सरयू नदी किनारे तराई के दर्जनों गांव, बांध के उस पार बसे हैं जहां पानी कम हाेने पर अब दुर्गंध उठ रही है। यहां के निवासी सर्दी, जुखाम, बुखार, खुजली, पेट दर्द से बीमार हो रहे हैं। बुजुर्ग भी परेशानी झेल रहे हैं मगर उनको गांव के अंदर दवा नहीं मिल पा रही हैं। दवा के लिए इन्हें बाँध या सीएचसी जाना पड़ता है। सरकार ने निर्देश दे रखा है कि बाढ़ पीड़ित गाँवों में स्वस्थ्य टीमें जाकर दवा दें व ब्लीचिंग, ऐंटी लारवा का छिड़काव कराए। क्लोरीन टेबलेट दें, जिससे पीने का पानी सही रहे। लेकिन ऐसा कुछ भी तराई के गांवाें में नहीं दिख रहा है।
पर्वतपुर, बिझला, बेहटा तबस्सेपुर, तिवारी पुरवा, नई बस्ती, बल्लोपुर सहित बाँध के अंदर बसे कई गांवाें व पुरवों में स्वास्थ्य टीमें सक्रिय नहीं है जिससे स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ग्रामीणांचल इलाकाें में रहने वालाें काे नहीं मिल रहा है। हेतमापुर बाँध पर टीम दिखती है जो अगल बगल की पंचायतों के लोगों को दवा आदि देती हैं, मगर अंदर गाँवों में सक्रियता नहीं है। कागजों पर टीमें लगी हैं जिन पर अधीक्षक तक का नियंत्रण नहीं है। दवाओं की उपलब्धता है मगर वे जरूरतमंदों तक पहुंच नहीं पा रही हैं।
इस पर अधीक्षक का कहना है कि डाक्टर कम हैं इसलिए बांध पर कैंप लगा है। गाँवों में भी कोशिश होगी की टीम जाए। प्रधानों से कहा गया है कि ब्लीचिंग छिड़काव करा दें।