अवधनामा संवाददाता (शकील अहमद)
कुशीनगर। दस सितम्बर की तारीख जनपद के किसानों के लिए मनहूस दिन से ज्यादा कुछ नहीं है। यह दिन आज भी किसानो के जेहन में खौफनाक मंजर के रुप चस्पा है। स्मरण रहे कि किसानो का बकाया गन्ना मूल्य भुगतान की मांग को लेकर रामकोला स्थित त्रिवेणी चीनी मिल गेट पर आंदोलन कर रहे किसानों पर 10 सितंबर 1992 को पुलिस फायरिग में शहीद हुए किसानो की याद अभी भी लोगों के जेहन में ताजा है। उस मंजर को याद कर किसान सिहर उठते हैं। गोलीकांड के शिकार हुए पड़ोही हरिजन और जमादार मियां की शहादत पर हर साल रामकोला कस्बे में शहीद किसान दिवस मनाया जाता है। चीनी मिल प्रशासन की मनमानी से तंग आकर क्षेत्र के किसानों ने अगस्त 1992 में पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक राधेश्याम सिंह के नेतृत्व में आंदोलन शुरू किया। आठ सितंबर को चीनी मिल प्रशासन और आंदोलन कर रहे किसानों के बीच वार्ता विफल हो गई थी।
राजधानी के गलियारों तक पहुंची थी आन्दोलन की गूंज
आंदोलन की धमक लखनऊ तक पहुंची तो तत्कालीन जनपद देवरिया के डीएम पर किसानों को मनाने का दबाव बढ़ा। नौ सितंबर को प्रशासनिक अधिकारियों व मिल प्रशासन के साथ राधेश्याम सिंह से वार्ता शुरू हुई जो देर शाम तक चली। वार्ता विफल होने के बाद आंदोलनकारियों ने चीनी मिल प्रबंधक को बंधक बनाकर अपने साथ बैठा लिया। शर्त रखी कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होगी, प्रबंधक भी हमारे साथ बैठे रहेंगे। उसके बाद प्रशासन ने रणनीति बदली और 10 सितंबर को थाने में आकर राधेश्याम सिंह से वार्ता करने को कहा। चीनी मिल गेट से कुछ किसानों के साथ राधेश्याम सिंह थाने में आ गये।
पथराव के जबाब में पुलिस ने चलायी थी गोली
आन्दोलन स्थल पर राधेश्याम सिंह के नामौजूदगी में अधिकारी आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाने लगे। इसकी जानकारी किसानों को हुई तो वह उग्र होकर पुलिस पर पथराव करने लगे। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने फायरिग की और दो किसानों की मौत हो गई। राधेश्याम सिंह समेत 250 किसानों को गिरफ्तार कर देवरिया जेल में डालकर कस्बा में कर्फ्यू लगा दिया गया था। गोलीकांड की गूंज दिल्ली और लखनऊ तक पहुंची तो बड़े नेताओं के आने का क्रम शुरू हो गया। बीते वर्ष राधेश्याम सिंह की ओर से किसानों की शहादत पर आयोजित किसान शहीद दिवस में आए मुलायम सिंह यादव ने घोषणा की थी कि प्रतिवर्ष यह कार्यक्रम आयोजित होगा। इस क्रम में यहा हर वर्ष सपा की ओर किसान शहीद दिवस के रुप में कार्यक्रम आयोजित कर गोलीकांड के शिकार हुए पड़ोही और जमादार मियां को याद किया जाता है।