नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर आन्दोलनरत किसानों की गूँज मंगलवार को संसद में सुनाई दी। प्रदर्शन कर रहें किसान सरकार द्वारा लाये गए कृषि क़ानून के खिलाफ बीते दो महीनों से ज्यादा से किया जा रहा है। जिसके विरोध में कांग्रेस, वाम, तृणमूल कांग्रेस, राजद, द्रमुक समेत कई विपक्षी दलों ने राज्यसभा में इस पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया था। लेकिन सभापति एम वेंकैया नायडू ने विपक्ष की इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि इस पर चर्चा बुधवार को की जाएगी जिसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। लेकिन थोड़ी देर बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने सदन में दुबारा वापसी की और आन्दोलनरत किसानों के समर्थन में जमकर नारेबाजी करने लगे। विपक्ष की नारेबाजी की वजह से सदन की कार्यवाही को तीन बार स्थगित किया गया। इसके बाद भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा। जिसकी वजह से कार्यवाही को बुधवार सुबह नौ बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने उनकी मांग अस्वीकार करते हुए कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन में कल चर्चा होगी और तब सदस्य किसान आंदोलन के मुद्दे पर अपनी बात रख सकते हैं। उन्होंने सदन की बैठक शुरू होने पर बताया कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें नियम 267 के तहत नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय, द्रमुक के तिरूचि शिवा, वाम सदस्य ई करीम और विनय विश्वम सहित कई सदस्यों के नोटिस मिले हैं। इस नियम के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर जरूरी मुद्दे पर चर्चा की जाती है। नायडू ने कहा कि राष्ट्रपति ने संसद के बजट सत्र के शुरू में दिए गए अपने अभिभाषण में किसानों के आंदोलन का जिक्र किया है।
Rajya Sabha adjourned till 11:30 am. pic.twitter.com/8CZFlSw1os
— ANI (@ANI) February 2, 2021
सभापति ने कहा कि लोकसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर आज चर्चा शुरू होगी और उच्च सदन में यह चर्चा कल बुधवार को होगी। उन्होंने सदस्यों के नोटिस अस्वीकार करते हुए कहा कि सदस्य कल राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपनी बात रख सकते हैं। नायडू ने कहा कि सरकार और किसान समूहों के बीच बातचीत के कई दौर हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे के यथाशीघ्र समाधान के लिए सदस्यों की चिंता को वह समझते हैं।
सभापति ने सदस्यों से संक्षेप में अपनी बात रखने को कहा। सदन में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दो माह से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर किसान तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और इस मुद्दे पर चर्चा की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस के सुखेंद्र शेखर राय ने कहा कि सरकार और किसानों के बीच क्या चल रहा है, सदन इससे अवगत नहीं है।
राजद के मनोज झा ने कहा कि संसद जन प्रतिनिधियों का केंद्र है और संसद में जन सरोकार के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार और सांसद सभी चर्चा करना चाहते हैं। सभापति ने कहा कि वह सदस्यों की भावनाओं और चिंता को समझते हैं।
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