राजीव गाँधी कैंसर संस्थान ने मुरादाबाद में कैंसर उपचार के क्षेत्र में स्थापित किए नये मानक

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मुरादाबाद। छोटे शहरों में कैंसर के खिलाफ लड़ाई की चुनौतियों से जूझने से लेकर कैंसर के निदान के मामले में हुई तकनीकी प्रगति के साथ-साथ विशेषज्ञों ने कैंसर उपचार में अत्याधुनिक नवाचारों के कारण मरीजों के जीवन गुणवत्ता में आए सुधारों को रेखांकित किया
मुरादाबाद, 23 जनवरी: राजीव गाँधी कैंसर संस्थान एवं रिसर्च केंद्र (आरजीसीआईआरसी) अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए कैंसर की जल्द पहचान, निदान, एकदम सटीक देखभाल और कैंसर के इलाज में होने वाले दुष्प्रभावों (साइड इफेक्ट्स) को न्यूनतम करते हुए कैंसर निदान एवं उपचार के क्षेत्र में क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। इस प्रयोजन हेतु राजीव गाँधी कैंसर संस्थान द्वारा भारतीय चिकित्सा संघ (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन – आईएमए) मुरादाबाद के संग ‘सतत चिकित्सा शिक्षा’ (कॉन्टीन्यूड मेडिकल एडुकेशन अथवा सीएमई) के अंतर्गत एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कैंसर निदान और इलाज को प्रभावित करने वाले अतिमहत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करने के लिए यह कार्यक्रम विशेषज्ञों के लिए विशेष मंच साबित हुआ। उन्होंने कैंसर निदान और उपचार पर असर डाल रही चुनौतियों और कैंसर-विज्ञान (ऑन्कॉलजी) में आधुनिकतम तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में मुरादाबाद और राज्य के आसपास के क्षेत्रों के चिकित्सा जगत से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया।
छोटे शहरों में मरीजों को उपलब्ध कम जानकारी और कैंसर शब्द से जुड़ी सामाजिक जटिलताएंजैसी बड़ी चुनौतियों को रेखांकित करने वाले अपने भाषण में आरजीसीआईआरसी में वरिष्ठ सलाहकार एवं इकाई प्रमुख (सीनियर कंसलटेंट एंड यूनिट हैड) डॉ रजत साहा ने कहा कि इन मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने की आवश्यकता है।
“इन क्षेत्रों में मरीज अक्सर कैंसर के शुरूआती चरणों के बारे में अवगत नहीं हैं, और इसी वजह से वो लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते। लेकिन पिछले कई सालों में कैंसर के निदान को लेकर अच्छी-खासी प्रगति हुई है। अब तो उच्च गुणवत्ता की हेल्थ केयर सुविधाएं छोटे शहरों में भी उपलब्ध हैं। पिछले पांच वर्षों में सरकारी और निजी दोनों तरह के कैंसर अस्पतालों की संख्या काफी बढ़ी है।”
‘वर्ष 2024 में कैंसर का निदान और उपचार कैसे हो’ विषय पर अपनी बात रखते हुए डॉ साहा ने कहा, “छोटे शहरों में भी बायोप्सी सुविधाओं के विस्तार, विशेषज्ञ पैथोलॉजिकल तकनीकों की उपलब्धता और सीटी स्कैन, एमआरआई और पेट स्कैन आदि रेडियोलजी तकनीकों तक पहुंच जैसी प्रगति निश्चित रूप से कैंसर के शुरूआती चरण में ही मरीजों के उपचार में मददगार साबित होगी।”
उन्होंने कैंसर के शुरूआती लक्षणों की पहचान में प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों के फिजिशियनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए मरीजों तक आरजीसीआईआरसी के सहायता कार्यक्रमों के प्रभाव पर भी विचार-विमर्श किया।
विशेषज्ञों ने मिनिमम इनवेसिव टेक्निक्स, प्रिसिशन सर्जरी और इमेजिंग, मोलेक्यूलर प्रोफाइलिंग और जेनेटिक टेस्टिंग जैसी अत्याधुनिक उपचार तकनीकों पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की। आरजीसीआईआरसी में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार (सीनियर कंसलटेंट) डॉ शुभम जैन ने रेखांकित किया कि मरीजों का जोर केवल उनकी जीवनआयु बढ़ाने के स्थान पर शरीर के अंगों को पुर्नर्निर्माण एवं पुनर्वास तकनीकों के माध्यम से उनकी जीवन गुणवत्ता को बेहतर करने पर अधिक है।
“मिनिमली इनवेसिव सर्जरीज) और प्रिसिजन टेक्निक्स जटिलताओं को कम से कम करके मरीजों को जल्द से जल्द ठीक कर आम दैनिक गतिविधियों को जारी करने योग्य बनाती हैं। इमेजिंग, मॉलिक्यूलर प्रोफाइलिंग और जेनेटिक टेस्टिंग में हुई उन्नति के कारण व्यक्तिगत सर्जिकल इलाज और मरीज की बेहतर संतुष्टि सुनिश्चित हुई है,” डॉ जैन ने कहा।

कैंसर-विज्ञान में हुई प्रगति के कारण कैंसर के मरीज के उपचार को कैसे उन्नत किया है, इस पर अपनी बात रखते हुए डॉ जैन ने कहा, “ऑपरेशन के लिए लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक प्लेटफॉर्मों के साथ मिनिमली इनवेसिव सर्जरीज के कारण सर्जिकल अचूकता बढ़ी है, साथ ही मरीज को होने वाले दर्द और इंफेक्शन में भी काफी कमी आई है। नेविगेशनल और फ्लूरोसेंस से गाइड होने वाले टूलों को प्रयोग कर होने वाली सटीक सर्जरी से सर्जिकल अचूकता में वृद्धि हुई है और जटिलताएं कम ही हैं। सर्जरी के बाद जल्द ठीक होने के कारण हम मरीज के सर्जरी के बाद हॉस्पिटल में भर्ती रहने के समय को भी कम कर पाये हैं।”

कार्यक्रम के दौरान आईएमए मुरादाबाद के अध्यक्ष डॉ. रवि गंगल और मानद सचिव डॉ. श्रुति खन्ना के साथ-साथ एसोसिएशन के अन्य वरिष्ठ डॉक्टर और प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

कैंसर निदान और उपचार पर आयोजित यह कार्यक्रम अनवरत नवाचार, शिक्षा और जागरूकता पहलों के माध्यम से कैंसर देखभाल के परिदृश्य को बदलने के प्रति आरजीसीआईआरसी की प्रतिबद्धता को पुनः रेखांकित करता है।

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