अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। वीर विजय बजरंग बली मन्दिर डोंडाघाट तालाबपुरा में दोपहर एक बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक चली वाली श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन दीप्ती श्रीजी के मुखारविन्द से श्रीमद भागवत कथा व्याख्यान किया गया। कथा के प्रारंभ में कथा व्यास ने एक चौपाई के साथ कथा प्रसंग शुरू किया। पूछेगी रघुपति कथा प्रसंगा सकल लोक जग पावन गंगा। मानव के कल्याण के लिए कौन सी कथा कल्याणकारी है मानव के लिए परम धर्म क्या है जिसके जवाब में सूदजी ने कहा कि मानव के कल्याण के लिए श्रीमद् भागवत कथा कल्याणकारी है व परम धर्म क्या है। परमधाम धर्म श्रीकृष्ण की भक्ति है। भक्ति भी निस्वार्थ भक्ति निष्काम भक्ति मीराबाई की तरह होनी चाहिए। सूदजी ने कहा कि भगवान का जन्म नहीं हुआ भगवान अजन्मा है। भगवान के 24 अवतार माने गए है लेकिन अभी तक 23 अवतार हुए हैं जिसमें ब्रह्माजी के चार पुत्र सनत, सनानंद, सनातन, सनत कुमार, दूसरा अबतार वारह अवतार, तीसरा अवतार संत नारद अवतार, चौथा अवतार नारायण अवतार, पांचवा अवतार कपिल देव अवतार, छठवा अवतार दत्तात्रेय अवतार, सातवां अवतार यज्ञ भगवान अवतार, आठवां अवतार श्रीऋषभदेव अवतार, नवम अवतार प्रातो अवतार, दसवां मत्स्य अवतार, ग्यारवा अवतार धनवन्तरी अवतार, बारवां अवतार मोहिनी अवतार, तेहरवें अवतार मोहिनी अवतार, चौदह अवतार नरसिंह भगवान अवतार, पंद्रहवा अवतार वामन अवतार, सोलहवां अवतार परशुरामजी, सतरहवां अवतार वेदव्यासजी, अठारवा श्रीराम अवतार, उनीसवां अवतार बलराम, बीसवा अवतार श्रीकृष्ण अवतार, इक्कीसवां अवतार श्रीहरि, वाइसवां अवतार हंस अवतार, तेइसवां अवतार बुद्ध अवतार, 24वां अवतार कलयुग में होना शेष है। भगवान दो हो अवतार में मानव जीवन के रूप में रहे। इसमें भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण अवतार, भगवान राम ने मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम के लिये श्रीराम ने पिता की आज्ञा का पालन हेतु 14 वर्ष का वनवास में बिताए और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहलाए। एक रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने दुष्टों का संहार किया और विभिन्न लीलाएं दिखाकर लीलाधर कहलाएं। सूदजी ने बताया कि पांडवों और कौरवों के महाभारत के युद्ध में कौरवों के 100 पुत्र व एक तरफ पांच पांडवों के बीच युद्ध प्रारंभ हुआ तो दृष्टराज के 99 पुत्रों के मारे जाने पर दुर्योधन की जांघ टूट जाने पर मित्र अश्वत्थामा क्रोध में रात्रि से चोरी से पांडवा के शिविर में घुसकर पांडव समझ कर सोते हुए द्रोपदी के पांच पुत्रों के सर काट दिये। जिस कारण भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीला से अर्जुन से कहा कि वह बदला ले अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा का पालन करते हुए अश्वत्थामा की सिर की मणि निकाल दी जिससे अश्वत्थामा अपमानित होकर वहां से भाग गया। कथा सुनकर समस्त श्रद्धालु मन मुक्त हो गए व हरे कृष्णा हरे राम भजन पर झूम उठे श्रद्धालु। मुख्य यजमान सीताराम विश्वकर्मा, सह परिवार व सह यजमान रघुवीर शरण सोनी सपरिवार तृतीय दिवस की कथा का श्रवण किया प्रसाद की वितरण भरत पुरोहित व मनोज साहू की तरफ से रही। इस मौके पर मंदिर के पुजारी ठाकुर दासजी, यज्ञाचार्य प्रमोद लिटौरिया, समिति के अध्यक्ष राजबहादुर श्रीवास्तव, डीके तिवारी, हरनाम सिंह तोमर, रमेश सिंह, भरत पुरोहित, जगदीश प्रसाद तिवारी, रामचरण तिवारी, प्रताप नारायण गुप्ता, रमेश नगाइच, भगवत कुशवाहा, सतीश परिहार, नीरज तिवारी, देवेंद्र निरंजन, कृष्णकांत साहू, आकाश सेन, आशीष तिवारी, राहुल कुशवाहा, आलोक खरे, मनोज साहू, राजकुमार साहू, पंकज तिवारी, कुंजबिहारी, मुकेश साहू, दिनेश श्रीवास्तव, महेश सेन, रमेश सोनी, रामकुमार नामदेव, हर्ष नामदेव, अजय राजपूत, राजेश यादव, कमलू यादव, विजय झा, राहुल साहू, अमित सेन, राजेंद्र यादव, दीपक यादव, गोविन्द नारायन कुशवाहा, प्रेमनारायण कुशवाहा, ब्रज नारायन कुशवाहा, मेघराज कुशवाहा, शिवा कुशवाहा, चक्रेश कुशवाहा, रोहित कुशवाहा, पेरिस कुशवाहा, डालचंद्र कुशवाहा, आकाश कुशवाहा, विशाल कुशवाहा समस्त मोहल्लावासी ने कथा का श्रवण किया।