बैतुल मुक़द्दस को आज़ाद कराने तक जारी रहेगा क़ुद्स डे : मौलाना शमशाद

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क़ुद्स डे पर शिया जामा मस्जिद के बाहर हुआ प्रदर्शन

गोरखपुर। बैतुल मुकद्दस और मुसलमानो के किब्ला अव्वल पर इजराइल के कब्ज़े और फिलिस्तीनी मुसलमानो पर हो रहे ज़ुल्म के खिलाफ शुक्रवार को शिया जामा मस्जिद गोरखपुर में अलविदा जुमा की नमाज़ के बाद शिया फ़ेडरेशन के बैनर तले अंतर्राष्ट्रीय क़ुद्स डे (यौम अल क़ुद्स) मनाया गया।  बताते चले की क़ुद्स डे का मतलब होता है मज़लूमो का दिन। इसकी शुरुआत ईरान क्रांति के सर्वोच्च लीडर व शिया धर्मगुरु आयतुल्लाह ख़ुमैनी ने किया था।

इस अवसर पर इमाम जमात जुमा शिया जामा मस्जिद मौलाना शमशाद अब्बास कुम्मी ने कहा कि क़ुद्स डे मस्जिद ए अक्सा पर इज़राइल के अवैध कब्जे के विरोध में एक लोकतांत्रिक एंव शांतिपूर्ण प्रदर्शन का दिन है।

ईरान में सन 1979 में इस्लामी क्रांति के रहबर हज़रत आयतुल्लाह इमाम ख़ुमैनी साहब ने यह एलान किया था कि माहे रमज़ान के अलविदा जुमे को सारी दुनिया क़ुद्स दिवस के रूप में मनाएं, तभी से हर वर्ष यह आयोजन किया जाता है।

मौलाना ने कहा कि बैतुल मुकद्दस और मुसलमानो के किब्ला अव्वल जैसी मुबारक जगहों पर अमेरीकी सरकार की साजिशों से इज्राईीलियों ने कब्जा कर रखा है। गाज़ा समेत लेबनान और सीरिया में बेगुनाह मुसलमानों का कत्लेआम किया जा रहा है।

फिलिस्तीन के निवासियों पर जुल्म व सितम के पहाड़ तोड़ रखे हैं जिसका उदाहरण पूरी दुनिया में नही मिलता।

मौलाना ने कहा कि जब तक फिलिस्तीनी मुसलमानों के साथ न्याय नही होगा उस वक्त तक दुनिया में सही अर्थो में न्याय नही होगा। मौलाना ने सीरिया, यमन और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में मुसलमानों पर हो रहे अन्याय और उनकी हत्याओं पर चिंता प्रकट किया।

क़ुद्स डे के मौके पर पर जुमा अलविदा की नमाज़ के बाद शिया जामा मस्जिद के बाहर एक सांकेतिक प्रदर्शन किया गया जिसमें सैकड़ों की तादाद में शिया समुदाय के लोगों ने भाग लिया।

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