आस्था का केन्द्र बना पुर्वांचल का प्रसिद्व कुबेरस्थान शिव मंदिर

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अवधनामा संवाददाता(शकील अहमद)

 

श्रावण माह के प्रथम सोमवार को श्रद्धालुओं का लगा तांता
हर-हर महादेव और बोल बम के जयकारो से गुंज उठा क्षेत्र
ग्रामीण क्षेत्रो के शिववालयो में भी सुबह 4 बजे से ही शिलिंगो पर पूजन अर्चन और जलाभिषेक कर भक्तो ने मांगी मन्नते
कुशीनगर। जनपद के कुबेरस्थान में स्थित पुर्वांचल का प्रसिद्व शिव मंदिर जो शास्त्रो और पुराणो में काफी महिमा बतायी गायी है। यहाँ पर श्रावण मास के महिने में दुर-दुर से श्रद्वालु भक्त हर-हर महादेव बोल बम नारे के साथ भगवान शिव का रूद्राभिषेक कर अपनी मनोकामना पुरी करने के लिए मन्नते मांगते है और सावन के महिने में हर सोमवार व शुक्रवार को श्रद्धालुओं का भारी भीड़ लगा रहता है।
विदित हो कि श्रावण मास शुरू होते ही शिव भक्तो में काफी हर्ष और खुशी देखी जा रही है। श्रावण मास में जहाँ देशभर में श्रद्वालुओ की भीड़ उमड़ पड़ी है वहीं कुशीनगर जनपद के प्राचीन शिव मंदिर जिसके बारे में मान्यता है कि स्वंय भगवान कुबेर ने शिव अराधना की थी और उनके अराधना से प्रसन्नता और उनके भगवान शिव ने उन्हे वरदान दिया था धन के स्वामी कुबेर द्वारा इस स्थान की पुजा किये जाने के कारण इस स्थान का नाम कुबेर स्थान पड़ा। इस शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए सुबह से ही भक्तो का तांता लगा रहता है। श्रद्वालुओ का ऐस मानना है कि इस शिवलिंग पर पुजा करने से सभी मनोकामनाये पुरी होती है। इस प्राचीन शिव मुदिर के बारे में शास्त्रो में यह वर्णन है कि लंकापुरी को स्थापित करने वाले भगवान कुबेर से जब रावण ने युद्व कर लंका जीत ली तो अपने पुष्पक विमान पर सवार हो कर कुबेर लंका से भागते समय इस सािान पर जहाँ परघना जंगल था उसी जंगलो के बीच एक दिव्य ज्योर्तिमयी शिवलिग को देखर विमान सहित नीचे उतर गये और बैठ कर इस दिव्य शिवलिंग की तपस्या करने लगे जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हो गये और कुबेर के व्यथा को दुर करते हुयसे वरदान दिसा कि तुम प्रजा सहित अल्कापुरी मे अपना राज्य स्थापित करो। रावण का बध विष्णु के अवतार राम के द्वारा होना निश्चित है।
बता दें कि यह कुबेरस्थान का शिव मंदिर पशुपति नाथ मंदिर (नेपाल) और काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी) के मध्य में स्थित होने के कारण और धन के स्वामी कुबेर द्वारा पुजे जाने के कारण संसार में प्रसिद्व है। वैसे तो यहाँ पुरे साल सोमवार और शुक्रवार को श्रद्वालुओ की भारी भींड़ लगी रहती है लेकिन श्रावण मास और बैसाख मास के तेरस के दिन लाखो की संख्या मे श्रद्वालु पुजा करने आते है जिससे सदैव मेला जैसे दृश्य बना रहता  है। और जो श्रद्वालु मन से इस शिवलिंग की आराधना, रूद्राभिषेक, मंत्रजप आदि करता है उसकी समस्त मनोकामनाये पुर्ण होने के साथ धन, सम्पत्ति, वैभव असाध्य रोगो से मुक्ति प्राप्त होती हैं।
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