अवधनामा संवाददाता
प्रयागराज : आज औरतों में सर्वाइकल कैंसर बहुत सामान्य बात सी होती जा रही है , डेली दो सौ से ज्यादा औरतों की मृत्यु सर्वाइकल कैंसर से होती है जिसे गर्भाशय का कैंसर भी कहते हैं , सर्विक कैंसर के प्रति जनजागरूकता और वैक्सीनशन के प्रचार से तमाम औरतों के जीवन को बचाया जा सकता है .
उपर्युक्त बात करते हुए नारायण स्वरुप अस्पताल से स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सोनिया सिंह ने अवधनामा संवाददाता प्रज्ञा वत्सल मिश्रा को बताया कि असुरक्षित यौनसंबंध , बार बार गर्भ धारण करना , काम उम्र में प्रेग्नेंट होना सार्विक कैंसर के कारण हो सकते हैं , इसके साथ हुमेन पैपिलोमा वाइरस सार्विक कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है .
डॉ सोनिया सिंह के अनुसार आज सार्विक कैंसर के इलाज में बहुत आधुनिक तकनिकी का स्तेमाल हो चूका है लेकिन जरुरी है कि प्रारंभिक अवस्था में ही पता चल जाय , प्रारम्भिक अवस्था में पता चलने पर सार्विक कैंसर की गंम्भीरता से बचा जा सकता है . अगर एक बार कैंसर डाइग्नोस हो गया है फिर कीमोथैरेपी , रेडिओ थेरेपी आदि विधियों के माध्यम से इलाज किया जाता है . लेकिन अंतिम स्टेज में पता चलने पर गर्भाशय को निकलना ही एक विकल्प है .
डॉ सोनिया सिंह के अनुसार अगर सार्विक कैंसर का वक्सीनशन लड़कियों में कराया जाय जो 9 साल की उम्र में चालू होता है तो सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सकता है , वैक्सीन मंहगी है लेकिन जो संपन्न हैं उनको पहले से करा लेना चाहिए , इसके अलावां सार्विक कैंसर से जुडी जागरूकता से सबको अवेयर किया जा सकता है ताकि भविष्य में महिलाएं सुरक्षित रहें . नुट्रिशन डाइट और खान पान भी किसी भी रोग को प्रभावित करता है तो सार्विक कैंसर से बचने के लिए औरतों का पोषक भोजन लेना जरुरी होता है .
डॉ सोनिया सिंह ने एक सवाल के जवाब में बताया कि गर्भाशय के मुख के कैंसर के एक बार इलाज होने बाद होने की सम्भावना तो बान्हि रहती है लेकिन जब इसका इलाज अंतिम स्टेज में होता है , एक बार इलाज होने पर हर तीन साल में इसकी जाँच जरुरी होती है ताकि भविष्य के खतरे से बचा जा सके .