करार का उल्लंघन करने और भारी अनियमितता के चलते ग्रेटर नोएडा और आगरा का करार रद्द करने की मांग
गोरखपुर। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आज लगातार 82 वें दिन पूरे प्रदेश में समस्त जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर बिजलीकर्मियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन जारी रखा। संघर्ष समिति ने मांग की है कि निजीकरण करने के पहले ग्रेटर नोएडा और आगरा में किए गए निजीकरण के करार भारी अनियमितता के चलते रद्द किए जाएं।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों जितेन्द्र कुमार गुप्त, जीवेश नन्दन, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, अखिलेश गुप्ता, संदीप श्रीवास्तव, विजय बहादुर सिंह, विकास राज श्रीवास्तव, पीयूष राज श्रीवास्तव, विनोद श्रीवास्तव, प्रवीण कुमार, राकेश चौरसिया, राजकुमार सागर, उपेंद्र पाल, सरोजनी सिंह, ओम गुप्ता, सत्यव्रत पाण्डेय, विनय पाण्डेय एवं करुणेश त्रिपाठी ने कहा कि 01 अप्रैल 2010 को आगरा शहर की विद्युत व्यवस्था टोरेंट पावर कंपनी को सौंपी गई थी। उस समय उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का आगरा शहर का 2200 करोड़ रुपए का राजस्व का बकाया था। निजीकरण की शर्त यह थी की यह धनराशि टोरेंट पावर कंपनी वसूल कर पावर कारपोरेशन को देगी। पावर कॉरपोरेशन इसके ऐवज में टोरेंट पावर कंपनी को 10% प्रोत्साहन धन राशि देगा। उल्लेखनीय है कि लगभग 15 वर्ष होने जा रहे हैं और टोरेंट पावर कंपनी ने यह धनराशि, जो उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का राजस्व बकाया था, आज तक पावर कारपोरेशन को वापस नहीं किया है। नियम यह है कि अगर कोई उपभोक्ता बकाए की धनराशि नहीं देता है तो उसका कनेक्शन काट दिया जाता है। मजेदार बात है कि टोरेंट पावर कंपनी में इन बकायेदारों का कनेक्शन भी नहीं काटा। इसका मतलब यह हुआ कि यह 2200 करोड़ रुपए की धनराशि उपभोक्ताओं से लेकर टोरेंट पावर कंपनी ने अपने खाते में डाल ली। इस प्रकार आगरा में निजीकरण की शुरुआत ही पावर कारपोरेशन को 2200 करोड़ रुपए की चोट से हुई है।
संघर्ष समिति गोरखपुर के संयोजक पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 41 हजार करोड़ रुपए का राजस्व बकाया है और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 25 हजार करोड़ रुपए का राजस्व का बकाया है। निजीकरण की आगरा वाली ही कहानी दोहराई जाती है तो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में आने वाली निजी कंपनी के खाते में क्रमशः 41 हजार करोड़ रुपए और 25 हजार करोड़ रुपए की धनराशि चली जाएगी और पावर कॉरपोरेशन को एक झटके में लगभग 66 हजार करोड़ रुपए की चोट लगेगी। दरअसल निजी कंपनियों की नजर इसी बकाए पर है। उप्र के अलावा अन्य प्रांतों में भी निजी कम्पनी ने बकाए की धनराशि हड़प ली है।
संघर्ष समिति गोरखपुर के संरक्षक इस्माइल खान ने कहा कि इसके अलावा महंगी दर पर बिजली खरीद कर आगरा में टोरेंट कंपनी को सस्ती दर पर बिजली देने के कारण पावर कारपोरेशन को प्रति वर्ष 275 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। आगरा में बिजली का औसत विक्रय मूल्य 07.98 रुपए प्रति यूनिट है। पावर कॉरपोरेशन टोरेंट पावर कंपनी को मात्र 04.13 रुपए प्रति यूनिट में बिजली दे रहा है। टोरेंट कंपनी इसे आगरा में 07.98 रुपए प्रति यूनिट पर बेच कर प्रति वर्ष 800 करोड रुपए का मुनाफा कमा रही है। यदि आगरा का निजीकरण न हुआ होता तो अकेले आगरा शहर से ही पावर कारपोरेशन को 1000 करोड़ रुपए का मुनाफा मिल रहा होता।
संघर्ष समिति गोरखपुर के वरिष्ठ सदस्य इ. अरुण कुमार सिंह ने कहा कि बिजली कर्मी शांति पूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से निजीकरण का विगत 82 दिनों से विरोध कर रहे है। अत्यन्त खेद का विषय है कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने संघर्ष समिति से वार्ता तक नहीं की है। ऐसा लगता है कि प्रबंधन की निजी कंपनियों से सांठ गांठ है और इसीलिए प्रबन्धन निजीकरण की जिद पर अड़ा है जिससे प्रदेश को अपूर्णीय क्षति होने जा रही है।
संघर्ष समिति गोरखपुर के वरिष्ठ सदस्य एवं प्राविधिक संघ के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष ब्रजेश त्रिपाठी ने कहा कि बिजली कर्मी चालू वित्तीय वर्ष में अधिकतम राजस्व वसूली के संकल्प के साथ अपने काम में जुट हुए हैं किन्तु पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने निजीकरण का राग अलाप कर अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है। निजीकरण का निर्णय तत्काल वापस लिया जाय तो बिजली कर्मी रिकॉर्ड राजस्व वसूली करने में सक्षम हैं।
आज जनपद गोरखपुर सहित राजधानी लखनऊ एवं वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध सभा हुई।
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