अवधनामा संवाददाता
अलीगढ़। (Aligarh) प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान, लेखक और कवि और अमरीका के शिकागो में बसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, के पूर्व छात्र डा० आबिदुल्लाह गा़ज़ी के निधन पर एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने डा० गा़जी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अलीगढ़ आंदोलन की परंपरा को आगे बढ़ाया। वह उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने अनेक बाधाओं को पार करते हुए अपनी पसंद के क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित की।
कुलपति ने कहा कि “डा० गा़जी के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध थे। एएमयू समुदाय उनकी स्मृतियों को अपने दिलों में बसाये हुए है।
डा० अबिदुल्लाह गाजी ने इस्लाम से संबंधित 150 से अधिक पाठ्य पुस्तकों का संकलन किया। उन्होंने शिकागो में इकरा इंटरनेशनल एजुकेशनल फाउंडेशन की स्थापना की। जॉर्डन की रॉयल अकादमी ने उन्हें दुनिया के 500 सबसे प्रमुख और प्रभावशाली मुस्लिमों में स्थान दिया। उनकी कविताओं का एक संग्रह भी प्रकाशित हुआ है।
एएमयू से राजनीति विज्ञान में एमए करने के बाद, डा० गाजी ने एएमयू से बैचलर ऑफ थियोलॉजी भी किया। फिर उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में एमए किया और राजा राम मोहन रॉय के सुधारवादी विचारों पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की।
डा० अबीदाउल्ला गाजी स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध उर्दू पत्रकार मौलाना हामिद अल-अंसारी के पुत्र थे। उनके दादा मौलाना मुहम्मद मियां ने रेशम रूमाल आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो 1857 की घटना के बाद स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण कड़ी थी।
डा० अब्दुल्ला गाजी के परिजनों में उनकी पत्नी, डा० तस्नेमा गाजी और पांच बच्चे शामिल हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं। उनके भाई तारिक गाजी कनाडा में रहते हैं।