इस्लामाबाद, । पाकिस्तान के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि तत्कालीन गृह मंत्री रहमान मलिक ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या मामले में पूर्व सैनिक तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ को फंसाने का उनपर दवाब डाला था। 400 फर्जी मुठभेड़ मामले में संलिप्त रहने के मामले फिलहाल जमानत पर चल रहे पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि वह शपथ के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए तैयार हैं। फोन पर लिए गए साक्षात्कार में यह पूछे जाने पर कि बेनजीर हत्याकांड की जांच के लिए गठित संयुक्त जांच दल (जेआइटी) की रिपोर्ट पर उन्होंने जानबूझकर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया, इस पर पूर्व पुलिस अधिकारी राव अनवर ने जियो न्यूज को बताया कि मलिक चाहते थे कि पूर्व राष्ट्रपति का बयान दर्ज किए बगैर या उनसे पूछताछ किए बिना मुशर्रफ को नामजद किया जाए। उन्होंने कहा, ‘मैंने जेआइटी की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि मलिक ने मेरे ऊपर मुशर्रफ को आरोपित बनाने का दबाव डाला था। मैंने सुबूत के लिए कहा था, लेकिन तत्कालीन मंत्री के पास कुछ भी नहीं था।’
मुशर्रफ पर लगा था देशद्रोह का आरोप
आपको बता दें कि पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी पूर्व सेना प्रमुख को राजद्रोह के मामले में अदालत की ओर से सजा-ए-मौत सुनाई गई थी। हालांकि साल 2020 लाहौर हाई कोर्ट ने पाकिस्तान के परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली विशेष अदालत को असंवैधानिक करार दिया गया था। हालांकि देश के हाईकोर्ट ने मुशर्रफ को संगीन देशद्रोह का दोषी माना था।
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) मार्च 2016 से ही दुबई में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। उनकी हालत नाजुक है। बीते दिनों उन्हें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुशर्रफ के परिवार ने हाल ही बताया था कि वे पिछले तीन सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे और उनके अंग खराब हो रहे हैं।