एस.एन.वर्मा
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वर्तमान राष्ट्रपति का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। राष्ट्रपति जब चुने गये थे तो भाजपा के पास पर्याप्त बहुमत था। पर इस समय भाजपा के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है। उसे अपने उम्मीदवार को जिताने के लिये अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी। जिसकी शुरूआत शुरू हो गई है। लोगो को विश्वास है मोदी हर संकट का समाधान निकाल लेते है इस बार भी ऐसा कर लेगे।
पिछले राष्ट्रपति चुनाव के समय भाजपा के साथ आकालीदल और शिवसेना साथ थी। तब जम्मू-कश्मीर केन्द्र शासित राज्य नहीं बना था। अब अकाली और शिवसेना अलग हो गये है और जम्मू-कश्मीर में आम चुनाव में अभी देरी है। इसलिये इसबार मोदी को कुल मतों का 55 प्रतिशत का प्रबन्धन दिक्कतपूर्ण होगा। इस समय लगभग 735 सांसद है और 4128 विधायक है। मतों की गिनती अनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर होती है। मोदी को इन सब के बीच अपने उम्मीदवार के जीत के लिये राह निकालनी होगी। कुछ समय पहले शरद पवार इस बार राष्ट्रपति बनने के इच्छुक थे। इस दिशा में विरोधी दलों के साथ मिलकर कुछ प्रयास भी शुरू किया पर बात नहीं बन पायी। विपक्ष बिखरा हुआ है। कांग्रेस से सभी दल दूरी बनाते चले जा रहे है।
इन सबके बीच लोगो की निगाह मोदी पर टिकी हुई है कि इस बार किसे वह राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में पेश करते है। नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त होगा इस लिये उनको प्रोन्नति देने का सवाल नहीं उठता है। इस बार मोदी शायद किसी दक्षिण भारतीय को राष्ट्रपति बनाना चाहें। क्योंकि बंगाल से प्रणव मुखर्जी और उत्तर भारत से वर्तमान राष्ट्रपति राष्ट्रपति बन चुके है। किसी आरएसएस के सीनियर नेताओं पर भी नजर जा सकती है। मोहन भागवत चायन किये जानेवाली सूची में एक नाम हो सकते है। आरएसएस 2025 में अपना 100वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है।
मोदी अन्य दलों का झुकाव मापने में लग गये है। विवक्षी दल तो इस समय इतना बिखरा हुआ है कि वह अपना कोई सम्मिलित उम्मीदवार मैदान में नहीं उतार सकेगे। इससे भाजपा और मोदी दोनो उत्साहित है। फिर भी मुशकिले तो सामने है ही पिछली बार तामिलनाडु में अन्नादुम्रक की सरकार थी जिससे भाजपा के रिश्ते दोस्ताना थे इस बार द्रमुक सरकार है जिससे भाजपा के रिश्ते सहज नहीं चल रहे है। पिछले दिनो हैदराबाद में आरएसएस नेताओं और भाजपा अध्यक्ष के बीच इस विषय पर व्यापक चर्चा हुई है। इसके बाद आरएसएस के दो लोग अमितशाह और मोदी से मिलने के लिये भेजे गये। अनुमान है राष्ट्रपति चुनाव और उसके लिये सम्भावित उम्मीदवार पर चर्चा हुई होगी। अभी कवायद पर्दे के पीछे चल रही है। उपयुक्त जिताऊ उम्मीदवार के लिये मन्थन चल रहा है, सम्भव हो तो विपक्ष को सभी को नहीं तो कुछ को उम्मीदवार ग्रध्य हो। वर्तमान हालात में आरएसएस और भाजपा के पास राष्ट्रपति के रूप में कम ही विकल्प है। मोदी की पसन्द इस समय तामिलनाडु पर आई हुई है। चर्चा है कि किसी महिला को इस बार राष्ट्रपति बनाने के पक्ष में है वह भी दक्षिण भारत से और इसमें भी तमिलनाडु से। मोदी की सम्भावित सूची में उनके दो करीबी राज्यपाल है जिस पर आरएसएस की भी सहमति बनी हुई है। इस सम्बन्ध में मोदी ने अपना दूत दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों पास इस विषय पर चर्चा करने के लिये भेजा है। दोनो राज्यों के राजधानी में ही इस मिलन चर्चा को अन्जाम दिया गया। निष्कर्ष तो अभी गोपनीय ही है। क्योंकि अभी कुछ और विकल्प भी उभर सकते है।
भाजपा किसी को भी उम्मीदवार चुने न तो रामनाथ कोविन्द को अपना उम्मीदवार फिर बनायेगी और न तो वेंर्कयानायडू को उनके कार्यकाल के पहले उम्मीदवार बनायेगी। ये सब प्रारम्भिक स्तर की बाते है। उच्चस्तर पर उम्मीदवारो का चयन जारी है। गम्भीर मन्थन चल रहा है 2022 के पहले हफ्ते में चयनित सूची में से चुने गये उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी जाये। लोगो में उत्सुकता है कि मोदी किसको मौका देते है। मोदी ने अपने कुछ फैसलों से लोगो को चौकांया है हो सकता है यह फैसला भी चौकाने वाला हो। वैसे मोदी की काबलियत पर लोगो को विश्वास है। विपक्ष तमाशाई बना रहेगा।