राष्ट्रपति मुर्मू ने ट्रेनी ऑफिसर्स को दिया सेवा का मंत्र, बोलीं- एमईएस में अधिक संख्या में हों महिला सशक्तिकरण

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि रक्षा बलों में कॉम्बैट रोल और मेडिकल सर्विसेस में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेस में भी जोर देने की बात कही। ताकि अधिक संख्या में महिला अधिकारी शामिल हों।
राष्ट्रपति मुर्मू ने प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेस में अधिक संख्या में महिला अधिकारियों को बुलाना चाहिए। दरअसल, राष्ट्रपति मुर्मू ने एमईएस के प्रशिक्षु अधिकारियों से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। जिसकी तस्वीरें राष्ट्रपति मुर्मू के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से साझा की गई हैं।
जान की परवाह नहीं करते सैनिक
इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि युवा अधिकारियों के तौर पर निर्माण के क्षेत्र में आपका कर्तव्य पर्यावरण की देखभाल करना भी है। उन्होंने कहा कि हमें सतत विकास के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग की ओर बढऩा चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारे सैनिक देश और देशवासियों की सेवा के लिए अपनी जान की परवाह भी नहीं करते हैं। आप सभी बहादुर बेटे और बेटियों को मातृभूमि की सेवा और सहायता करने का सौभाग्य मिला है और इसे महसूस करना चाहिए। इस कार्यक्रम में भारतीय रक्षा सेवा इंजीनियर्स, आर्किटेक्ट कैडर और मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेस के सर्वेयर कैडर के अधिकारी प्रशिक्षु उपस्थित रहे।
सशस्त्र बलों में महिलाओं की हुई वृद्धि
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मैं मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेस में अधिक संख्या में महिला अधिकारियों की आवश्यकता पर भी जोर देना चाहूंगी। हाल के दिनों में हमने सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि देखी है। रक्षा बलों में कॉम्बैट रोल और मेडिकल सर्विसेस में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सकारात्मक बदलाव मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेस में भी दिखाई देगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में अधिकारी सेवा में शामिल हुए हैं जब भारत ने अमृत काल में प्रवेश किया और जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा समय है कि जब दुनिया भारत की ओर नवाचारों और समाधानों के लिए देख रही है। मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेस के अधिकारियों के रूप में आप सभी रक्षा हथियारों यानी सेना, वायु सेना, नौसेना, तट रक्षक और अन्य संगठनों को रियर लाइन इंजीनियरिंग सहायता प्रदान करने में सहायक होंगे।
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को प्रदान की जाने वाली समर्पित इंजीनियरिंग सहायता किसी भी आपात स्थिति से उन्हें निपटने के लिए तैयार रखता है। उन्होंने कहा कि देश को सतत विकास के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग की ओर बढऩा चाहिए।

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