नई दिल्ली। हमे गोवा में 54वे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में हिंदी फिल्म अभिनेत्री रानी मुखर्जी के साथ दमदार प्रस्तुति देना विषय पर दिलचस्प बातचीत पर सत्र आयोजित किया गया। गैलटा प्लस के प्रधान संपादक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म समीक्षक भारद्वाज रंगन द्वारा संचालित इस सहज चर्चा में रानी मुखर्जी के जीवन और शानदार कैरियर पर प्रकाश डाला गया।
लेखिका नम्रता शुक्ला ने अपनी सिनेमयी यात्रा पर रानी ने कहा कि उन्होंने हमेशा भारतीय महिलाओं को सशक्त किरदार के रुप में चित्रित करने की कोशिश की है। भारत के बाहर फिल्मों और उनके किरदारों को हमारी भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत करने वाली खिड़की के रूप में देखा जाता है। रानी ने कहा हमेशा मजबूत फिल्मों की भूमिकाओं के साथ खड़े रहना महत्वपूर्ण है। हो सकता है कभी कभार आपकों उसी समय दर्शकों की सराहना न मिल पाएं लेकिन सिनेमा के इतिहास मे ऐसी फिल्में और किरदार अपनी जगह बना लेते हैं। चरित्र चित्रण की जटिलताओं की पड़ताल करते हुए रानी ने बताया विशेष भूमिका निभाने के लिए अक्सर अभिनेता वास्तविक जीवन के उसी तरह के लोगो से मिलते हैं। ताकि वह उस किरदार की विशेषताओं को सही ढंग से व्यक्त कर सके लेकिन यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि वह किन भावनाओ से गुजर रहे हैं। दर्शको के दिल मे पहुंचने के लिए भावनाओ को चित्रित करना महत्वपूर्ण है। अभिनेत्री ने कहा अभिनेताओं को अपनी उम्र को स्वीकार करते हुए उसके अनुसार भूमिकाएं करनी होगी। उन्होंने कहा कि आयु को ज्यादा महत्व नहीं देती है। और अपने किरदारों के साथ न्याय करने की कोशिश करती है। यदि आप अपने द्वारा निभाए जा रहे किरदार की तरह दिखते हैं तो लोगों को उस किरदार के प्रति भरोसा कराने की आधी लड़ाई तो आप उसी समय जीत लेते हैं। अपनी यात्रा पर संतोष करते हुए रानी ने कहा कि उन्हें अपनी सिनेमयी जीवन पर किसी भी किरदार को निभाने का कभी अफसोस नहीं हुआ। उन्होंने कहा लेकिन दुर्भाग्य पूर्ण यह रहा कि मैं डेट किलैश के कारण आमिर खान की फिल्म लगान का हिस्सा नहीं बन पाई। अपने निभाए सबसे ज्यादा पसंदीदा किरदार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि फिल्म ब्लैक का किरदार उनके दिल के बहुत करीब है और मेंहदी के किरदार में उन्हें सशक्त बनाया।