मऊ विधानसभा सीट पर अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द होने के बाद उपचुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। सुभासपा ने इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक दी है। अरुण राजभर ने कहा कि उनकी पार्टी अब्बास अंसारी के साथ है और उपचुनाव में उनका ही प्रत्याशी उतरेगा। सुभासपा 2012 से इस सीट पर मुख्य भूमिका में रही है चाहे गठबंधन किसी के साथ भी हो।
माफिया मुख्तार अंसारी के गढ़ मऊ से उसके बेटे व सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी को भड़काऊ भाषण मामले में दो साल की सजा मिलने के बाद उसकी विधानसभा सदस्यता खत्म होते ही अघोषित रूप से चुनाव की डुगडुगी बच गई है।
भले ही निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीख घोषित नहीं की है, लेकिन पार्टियों में व्याकुलता बढ़ गई है। भाजपा-सुभासपा और सपा अभी से उपचुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। पिछले दस वर्षों में मऊ विधानसभा सीट पर हुए चुनावों में सुभासपा ने हर बार अहम भूमिका निभाई है।
अब्बास अंसारी के साथ सुभासपा
उसने स्पष्ट कहा है कि उपचुनाव होने की स्थिति में इस बार भी पूरी ताकत से दावेदारी ठोकेगी। सुभासपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अरुण राजभर ने कहा कि हमारी पार्टी अब्बास अंसारी के साथ है। उनकी सजा के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की जाएगी।
संभावना है कि अब्बास के पक्ष में फैसला आएगा। अगर उपचुनाव की नौबत आती है तो चाहे कुछ भी हो, हमारे टिकट पर हमारा ही प्रत्याशी उपचुनाव में उतरेगा। एनडीए गठबंधन के शीर्ष नेताओं के सामने भी इसे मजबूती से रखा जाएगा। 2022 का विधानसभा चुनाव सुभासपा ने सपा गठबंधन के साथ लड़ा था।
अब्बास अंसारी ने 38 वोटों से दर्ज की थी जीत
मऊ सदर से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा उम्मीदवार अशोक सिंह को 38,116 वोट से हराकर पहली बार विधायक बने। अब अब्बास को सजा मिलने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म होने की अधिसूचना जारी हो गई है और राजनीतिक दलों में उपचुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
सुभासपा का तर्क है कि वह इस सीट पर लगातार 2012 से मुख्य भूमिका में रही है। तब सीट पर कौमी एकता दल से चुनाव लड़ने वाले मुख्तार अंसारी को समर्थन दिया था। 2017 में भाजपा-सुभासपा गठबंधन से अपने टिकट पर महेंद्र चौहान को प्रत्याशी बनाया, हालांकि वह हार गए। 2022 में अब्बास को सपा-गठबंधन से मैदान में उतारा और जीत हासिल की।
मऊ सदर सीट से गठबंधन चाहे भाजपा या सपा के साथ रहा हो, प्रत्याशी हर बार सुभासपा का ही लड़ा। हालांकि भाजपा गठबंधन के बावजूद सुभासपा को घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में दारा सिंह चौहान और लोकसभा चुनाव में अरविंद राजभर को हार का मुंह देखना पड़ा था।