प्रधानमंत्री मोदी को ‘शिवलिंग पर चढ़ा बिच्छू’ बताकर फंसे थे शशि थरूर, सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से करने के मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत प्रदान कर दी है। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है। उन पर भाजपा नेता राजीव बब्बर ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है।

शशि थरूर ने हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 अगस्त को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की प्रधानमंत्री मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से करने के बयान के मामले में ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। जस्टिस अनूप कुमार मेंहदीरत्ता की बेंच ने शशि थरूर को समन जारी करने के आदेश को भी निरस्त करने से इनकार कर दिया। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 16 नवंबर 2018 को इस मामले में संज्ञान लिया था। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 27 अप्रैल 2019 को शशि थरूर के खिलाफ समन जारी किया था। 7 जून 2019 को कोर्ट ने शशि थरूर को जमानत दी थी।

शशि थरूर ने कोर्ट से कहा था कि उन्हें जो समन भेजा गया है, वो गलत है। सुनवाई के दौरान शशि थरूर की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि शशि थरूर के खिलाफ राजीव बब्बर की याचिका झूठी है।

भाजपा नेता राजीव बब्बर ने शशि थरूर के खिलाफ राऊज एवेन्यू कोर्ट में याचिका दायर की है। राजीव बब्बर ने अपनी याचिका में कहा है कि शशि थरूर ने बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शिवलिंग का बिच्छू कहा था, जिसे न हाथ से हटाया जा सकता है और न ही चप्पल से। याचिका में कहा गया है कि शशि थरूर के इस बयान से करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। राजीव बब्बर ने कहा है कि मैं शिव का भक्त हूं और शशि थरूर के बयान ने असंख्य शिवभक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है।

याचिका में शशि थरूर के बयान को असहनीय बताकर शशि थरूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत कार्रवाई करने की मांग की गई है। शशि थरूर ने बेंगलुरु में लिटरेचर फेस्टिवल में कहा था कि आरएसएस के एक व्यक्ति ने उनसे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शिवलिंग पर चढ़े बिच्छू की तरह हैं, जिन्हें न हाथ लगाया जा सकता है और न चप्पल।

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