वे मुझे पार्लियामेंट में नहीं बोलने देंगे, प्रधानमंत्री बताएं अडाणी से उनका क्या रिश्ता
नई दिल्ली। लंदन में दिए गए भाषण को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सफाई दी है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि मेरे भाषण में ऐसी कोई चीज नहीं थी जो मैंने पब्लिक रिकॉर्ड से नहीं निकाली। सब कुछ यहां-वहां से जुटाया था। यह पूरा मामला डिस्ट्रैक्ट करने का है। दरअसल, प्रधानमंत्री अडाणी के मुद्दे से डरे हुए हैं। वे बताएं कि अडाणी से उनका क्या रिश्ता है।
राहुल गांधी ने यह सारी बातें प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहीं। साथ ही कहा कि लंदन में दिए गए भाषण के मुद्दे पर संसद में विस्तार से जवाब दूंगा। मैं सांसद हूं और संसद मेरा मंच है।
राहुल ने कहा कि अडाणी को श्रीलंका, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया में ठेके मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री जी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम के बीच क्या बात हुई पीएम जी उसके जवाब नहीं दे पाए। मैं लोकसभा का सदस्य हूं। मेरी जिम्मेदारी अपनी बात संसद में रखने की है। मुझे कल संसद में अगर बोलने का मौका मिलता है तो वहां मैं डिटेल में इस विषय पर अपनी बात रखूंगा। हालांकि लगता है कि वे मुझे पार्लियामेंट हाउस में बोलने नहीं देंगे।
राहुल बोले- मेरा बोलना भाजपा को पसंद नहीं
इससे पहले संसद के बाहर राहुल ने कहा था- मैंने लंदन में भारत के खिलाफ कुछ नहीं कहा था। अगर संसद में मुझे बोलने का मौका मिलेगा, तो मैं अपनी बात रखूंगा। उन्होंने आगे कहा कि मेरा बोलना भाजपा को पसंद नहीं आता है।
इससे पहले, गुरुवार सुबह 11 बजे संसद की कार्यवाही शुरू होते ही दोनों सदनों को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। दोपहर बाद कार्यवाही शुरू होने पर एक बार फिर हंगामा होने पर दोनों ही सदन दिनभर के लिए स्थगित कर दिए गए।
राहुल ने स्पीकर से मिलकर वक्त मांगा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से गुरुवार को मुलाकात की। उन्होंने लंदन के बयान पर अपना पक्ष संसद में रखने के लिए वक्त मांगा।
मैं नहीं पीएम करते हैं देश का अपमान: मुझे याद है कि पिछली बार प्रधानमंत्री ने विदेश जाकर घोषणा की थी कि आजादी के 70 साल में कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा था कि हमने एक दशक खो दिया है। भारत में बेहिसाब भ्रष्टाचार है। यह सब उन्होंने विदेश में कहा था। मैंने कभी अपने देश का अपमान नहीं किया। मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा। जब वे कहते हैं कि 70 साल में कुछ नहीं हुआ, तो क्या यह हर भारतीय का अपमान नहीं है?
जो सरकार से सवाल करता है उस पर हमला होता है: यदि कोई पीएम नरेंद्र मोदी का सपोर्टर है, तो उसका भी आंख मूंदकर समर्थन किया जाता है। इसका उलटा जो लोग उन पर या उनकी सरकार पर सवाल उठाते हैं, उस पर हमला किया जाता है। कुछ ऐसा ही ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन बीबीसी के साथ हुआ है। बीबीसी ने गुजरात दंगों पर डॉक्यूमेंट्री बनाई और मोदी ने सरकार ने विवाद पैदा कर दिया। इसे एक प्रोपेगैंडा बताया।
मेरा पीएम कैंडिडेट होना चर्चा का विषय नहीं: राहुल से जब यह पूछा गया कि वे अगले पीएम उम्मीदवार होंगे, इस पर उन्होंने कहा- मेरा पीएम कैंडिडेट होना चर्चा का विषय नहीं है। विपक्ष का सेंट्रल आइडिया भाजपा और आरएसएस को हराना है।
मैं मोदी की शैली से सहमत नहीं: ये आइडिया कि एक आदमी सभी समस्याओं को हल करता है, सतही है। लोगों से बात करने से समस्याएं हल हो जाती हैं। इसके लिए हितधारकों और सरकार के बीच बातचीत जरूरी है। मैं ऊपर से नीचे तक एक व्यक्ति वाली नरेंद्र मोदी-शैली से सहमत नहीं हूं जो चीजों को ठीक करने के लिए जादू की छड़ी लेकर इधर-उधर भागता है।
राहुल ने कहा कि अमेरिका सहित दुनिया के लोकतांत्रिक देश यह नोटिस करने में विफल रहे कि भारत का लोकतंत्र खतरे में है।
भारत में हम भाजपा और आरएसएस के खिलाफ लड़ रहे हैं। इन दोनों ने देश में सभी सरकारी संस्थाओं पर कब्जा कर रखा है। ्य में संस्थाएं स्वतंत्र हैं और दो पार्टियां आपस में लड़ती हैं, लेकिन भारत में विपक्ष बीजेपी, आरएसएस के साथ-साथ सरकारी संस्थाओं से भी लड़ रहा है।
भाजपा चाहती है कि भारत में दलित, आदिवासी, मीडिया और बाकी सभी लोग शांत रहे। वे इसलिए ऐसा चाहते हैं ताकि भारत में जो कुछ भी है, उसे ले सकें और अपने 4-5 करीबियों को सौंप सकें।
मैं इंडियन फॉरेन पॉलिसी से सहमत हूं। प्रधानमंत्री कहते हैं कि भारत की जमीन में कोई नहीं घुसा है। हमारी एक भी इंच जमीन किसी ने नहीं ली है, लेकिन इंडिया को चीन से सतर्क रहने की जरूरत है। वह बॉर्डर पर बहुत ज्यादा एक्टिव और एग्रेसिव है।