नई दिल्ली 15 मई 2024: उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक आदि में राज्यों में वाणिज्यिक फसलों के लाखों किसानों एवं कृषि श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-लाभकारी संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशन (एफएआईएफए) ने आज कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में ‘किसानों की आजीविका सुनिश्चित करना: सतत कृषि पद्धतियों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाना’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया।
सेमिनार के दौरान एफएआईएफए ने ‘भारतीय कृषि क्षेत्र में बदलाव’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें पिछले एक दशक में कृषि क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया और साथ ही पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से किसानों की आय बढ़ाने की रणनीतियों को सामने रखा गया।
सेमिनार में श्री जीवीएल नरसिम्हा राव, पूर्व संसद सदस्य, राज्यसभा और श्री राज कुमार चाहर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा किसान मोर्चा उपस्थित रहे। सेमिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर प्रोफेसर एमवी अशोक, वरिष्ठ सलाहकार बीएआईएफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन पुणे व पूर्व मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड तथा डॉ. जेपी टंडन, पूर्व निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद उपस्थित रहे।
सेमिनार में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री जीवीएल नरसिम्हा राव, पूर्व संसद सदस्य, राज्य सभा ने कहा, “डेयरी सेक्टर समेत कृषि क्षेत्र के साथ काम के अपने अनुभव के आधार पर मैं किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को समझता हूं। इसलिए मैं कह सकता हूं कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों को साझा प्रयास करना होगा। किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) या सहकारी जैसी पहल से किसान साझा संगठनों की शक्ति का लाभ लेते हुए अपनी परिस्थितियां बदल सकते हैं और अपने लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।”
श्री नरसिम्हा ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हमारी सरकार के कुछ उल्लेखनीय प्रयासों के दम पर भारतीय कृषि क्षेत्र इस समय महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रहा है। पिछले एक दशक में हम इस सेक्टर में उल्लेखनीय रूप से 4 प्रतिशत की विकास दर कायम रखने में सक्षम हुए हैं और मुझे उम्मीद है कि आगे भी यह विकास जारी रहेगा और हम चार प्रतिशत की विकास दर को भी पीछे छोड़ देंगे। जनसंख्या में अनुमानित 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को देखते हुए हम न केवल अपनी खाद्य जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे बल्कि वैश्विक बाजार में अतिरिक्त निर्यात में भी सक्षम होंगे। यह मोदी की गारंटी है कि अगले 10 साल में किसानों के लिए एवं कृषि क्षेत्र में बंपर विकास होगा।”
रिपोर्ट में “जय किसान” शब्द को रेखांकित किया गया और यह पुष्टि की गई कि हमारे किसानों या हमारे अन्नदाताओं ने निर्विवाद रूप से अवसरों पर पहला अधिकार प्राप्त किया है। एफएआईएफए की रिपोर्ट ने एक व्यापक दृष्टिकोण की स्वीकृति के साथ पिछले एक दशक में सरकार की ओर से किए गए उन प्रयासों की सराहना की, जिनका फल स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसमें सरकार की उपलब्धियों का व्यापक विश्लेषण किया गया और पिछले 9 वर्षों में कृषि के लिए बजट आवंटन में 300 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि; पीएम किसान से 11 करोड़ किसानों को फायदा; एमएसपी पर दालों की खरीद में 7350% की आश्चर्यजनक वृद्धि व अन्य प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
रिपोर्ट जारी करने के मौके पर फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशन (एफएआईएफए) के अध्यक्ष जवारे गौड़ा ने कहा, “सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए उठाए गए कदम सराहनीय हैं। किसानों की आय बढ़ाने व उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने, हमारे देश एवं दुनिया का पेट भरने में हमारे अमूल्य ‘अन्नदाता’ की सहायता करने की दिशा में अथक प्रयास किए जा रहे हैं। पीएम-किसान सम्मान योजना जैसी प्रमुख नीतिगत पहल सालाना सीमांत एवं छोटे किसानों सहित लाखों किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना में अब तक कुल 2.80 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि वितरित की गई है। साथ ही, पीएमएफबीवाई के तहत 4 करोड़ किसानों तक फसल बीमा कवरेज बढ़ाया गया है।”
व्यापक फसल बीमा पॉलिसी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण ढाल के रूप में कार्य करती है, जिससे उन्हें अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा मिलती है। इससे उनकी आजीविका सुरक्षित होती है और वित्तीय बर्बादी को रोका जा सकता है। रिपोर्ट में सामने आई एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में ऐतिहासिक वृद्धि है। पहली बार सभी 22 फसलों के लिए एमएसपी को उत्पादन लागत से न्यूनतम 50 प्रतिशत अधिक पर निर्धारित किया गया। सरकार ने कृषि वर्ष 2018-19 से यह सुनिश्चित किया है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशन (एफएआईएफए) के वाइस प्रेसिडेंट एथर मथीन ने कहा, “सरकार की एमएसपी की पहल देशभर के किसानों के लिए एक जबरदस्त राहत रही है और हम किसानों के लाभ के लिए सरकार से इस तरह के सराहनीय काम जारी रखने एवं डिजिटल को और बढ़ावा देने की अपील करते हैं। ई-नाम जैसे प्लेटफॉर्म कृषि एवं बागवानी उत्पादों के निर्बाध ऑनलाइन व्यापार की सुविधा प्रदान करके, किसानों को बड़े बाजार तक पहुंच एवं उचित कीमत के साथ सशक्त बनाकर कृषि परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव लाने की अपार क्षमता रखते हैं।”
एफएआईएफए की रिपोर्ट ने उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल समावेशन को बढ़ाने के सरकार के प्रयास की ओर इशारा किया। 2016 में डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) की लॉन्चिंग ने कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) की मंडियों के एकीकरण की सुविधा प्रदान की है और किसानों, किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ), खरीदारों एवं व्यापारियों को बहुआयामी लाभ प्रदान किया है। ई-नाम प्लेटफॉर्म से जुड़े बाजारों की संख्या 2016 में 250 से बढ़कर 2023 में 1,389 हो गई है, जिससे 209 कृषि एवं बागवानी उत्पादों के ऑनलाइन व्यापार की सुविधा मिल गई है। इस प्लेटफॉर्म पर 1.8 करोड़ से अधिक किसानों और 2.5 लाख व्यापारियों का पंजीकरण हुआ है, जो कीमत तय करने की पारदर्शी प्रणाली और ऑनलाइन भुगतान सुविधा के माध्यम से बाजार के अवसरों को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, प्लेटफॉर्म पर ट्रेड वैल्यू अगस्त, 2017 के 0.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर नवंबर, 2023 में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।