Wednesday, May 21, 2025
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कृमि से प्रभावित होता है शारीरिक विकास : सीएमओ

 

 

अवधनामा संवाददाता

बांदा। बच्चों और किशोर-किशोरियों में कृमि के कारण मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है। स्कूलों में अनुपस्थिति बढ़ती है और उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। आर्थिक उत्पादकता भी में कमी आती है। बच्चा कुपोषण और एनीमिया का शिकार हो जाता है। यह बातें सीएमओ सभागार में कृमि मुक्ति अभियान की तैयारियों को लेकर आयोजित अंतर्विभागीय बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एके श्रीवास्तव ने कहीं।
सीएमओ ने बताया कि कृमि मुक्ति के लिए दवा सेवन कराने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। स्वास्थ्य और पोषण में सुधार होता है। एनीमिया को नियंत्रित किया जा सकता है। बच्चों के सीखने की क्षमता, कक्षा में उपस्थिति में सुधार होता है, वयस्क होने पर काम करने की क्षमता और आय में बढ़ोतरी आदि जैसे फायदे होते हैं। जिले में 20 जुलाई को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाएगा। इस अभियान में जनपद के 8.42 लाख एक से 19 साल के बालक-बालिकाओं को कृमि से मुक्ति (पेट के कीड़े निकालने) के लिए एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम/राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके/आरकेएसके) के डीईआईसी मैनेजर वीरेंद्र प्रताप ने बताया कि सभी स्कूल-कॉलेज और आंगनबाड़ी केंद्रों में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। इसके बाद 25 से 27 जुलाई तक मॉपअप राउंड चलेगा। उन्होंने बताया कि एक से पांच साल तक के सभी पंजीकृत बच्चों को, छह से 19 साल तक के स्कूल न जाने वाले सभी बालक-बालिकाओं एवं ईंट-भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिक व घुमंतू लाभार्थियों को आंगनबाड़ी केंद्र पर दवा खिलाई जाएगी। जबकि छह से 19 साल तक के सभी छात्र-छात्राओं को सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, प्राइवेट स्कूलों, मदरसों में शिक्षकों के माध्यम से दवा खिलाई जाएगी। इस मौके पर नोडल आधिकारी/एसीएमओ डा. आरएन प्रसाद, जिला कार्यक्रम प्रबंधक कुशल यादव सहित आईसीडीएस, शिक्षा विभाग के कर्मी उपस्थित रहे।

निर्धारित डोज में दी जाएगी दवा
बांदा। डीईआईसी मैनेजर ने बताया कि बच्चों को निर्धारित डोज के अनुसार दवा दी जाएगी। इसमें एक से दे वर्ष को बच्चों के अल्बेंडाजोल 400 एमजी टैबलेट को आधा कर उसका चूरा पानी के साथ खिलाना है। दो से तीन वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल 400 एमजी का एक टैबलेट चूर्ण कर पानी के साथ खिलाना है। इसके साथ ही तीन से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों को एक पूरा टैबलेट चबाकर खिलाना है। इसके बाद ही पानी का सेवन करना है।

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