सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कानून बनाना संसद का काम, वो चाहे तो विकल्प दे
सुप्रीम कोर्ट ने एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लडऩे वाली जनहित याचिका को किया खारिज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक ही कार्यालय के लिए एक साथ चुनाव लडऩे से उम्मीदवारों को प्रतिबंधित करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस याचिका को खारिच किया है कि यह मुद्दा विधायी डोमेन से संबंधित हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने उस कानून को रद्द करने से इनकार कर दिया जो उम्मीदवारों को एक चुनाव में एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से लडऩे की अनुमति देता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह राजनीतिक लोकतंत्र का मुद्दा है और यह संसद को तय करना है न कि अदालत को।
चुनाव लडऩे की अनुमति देना विधायी नीति का मामला
इसने कहा कि एक उम्मीदवार को एक से अधिक सीट के लिए चुनाव लडऩे की अनुमति देना विधायी नीति का मामला है क्योंकि अंतत: इसकी संसद की मर्जी है कि राजनीतिक लोकतंत्र को इस तरह का विकल्प देकर आगे बढ़ाया जाए या नहीं।
एक व्यक्ति को एक ही सीट पर चुनाव लडऩे ( एक व्यक्ति एक सीट) का कानून बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि 1996 तक एक व्यक्ति कई सीटों पर चुनाव लड़ सकता था। लेकिन अब सिर्फ दो पर ही लड़ सकता है। कई देशों मे सिर्फ एक सीट से ही चुनाव लडऩे का प्रावधान है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि ये संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह इसलिए गलत है, क्योंकि दो जगह से जीत के बाद जिस एक सीट को छोड़ा जाता है। वहां पर दोबारा चुनाव कराना होता है। सभी खर्चों के साथ-साथ वोटर को भी दोबारा पोलिंग बूथ तक जाना पड़ता है। इसलिए यह अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है।