एस एन वर्मा
पेले के कई नाम है। हालांकि वे मशहूर पेले के ही नाम से है। मृत्यु पेले की हुई है न कि एडसन अर्नेटस की। यह नाम इनके पिता डोन डिहा ने दिया था जो खुद फुटबाल सेन्टर फारवर्ड की पोजीशन से खेलते थे। मां इन्हें इचो कहती थी। पेले पहले छोटे क्लब में फुटबाल खेले और सीख रहे थे। उस क्लब के कोच उनकी फुटबाल प्रतिभा से इतने प्रभावित हुये कि वह उन्हें लेकर एक बड़े क्लब में लेकर गये वहां उन्हें सुपुर्द करते हुये वहां के कोच से कहा यह लड़का दुनिया का सबसे बड़ा फुटबालर बनेगा। कोच की भविष्य वाणी अक्षरशः सत्य हुई। उनके समकक्ष कोई फुटबालर नहीं उभरा हालकि प्रतिभा सम्पन्न और भी फुटबालर है जो प्रसिद्धि नाम और पैसा कमा रहे है।
पेले नाम को हमेशा वह थर्ड परसन रूप में एड्रेस किया करते थे। उन्होनंे अपने जीवनी लेखक को बताया था पेले एडीसन वह शख्स है जो संवेदनायें रखता है, परिवार रखता है जो कड़ी मेहनत करता है पेले आदर्श है। पेले मरता नही है, पेले कभी मरेगा नहीं। पेले हमेशा रहेगा। पर एडीसन एक आम आदमी है जो एक दिन मरने जा रहा है।
एडीसन को पेले नाम मिलने की कहानी उन्ही के फुटबाल खेल की तरह दिलचस्प है। पेले के पुकारने का नाम पहले डिचो था जो उनकी मां का दिया हुआ था। जिसे उनके चाचा ने गढ़ा था। शुरूआती दिनों में गैसोलीना भी थे। एक लड़के ने उनके स्कूल में उनसे पूछा तुम्हारा प्रिय फुटबालर कौन था। उन्होंने कहा बिले जो एक लोकल क्लब का गोलकीपर है। पर लड़के को लगा वह पिले मज़ाक कह रहे है। और यह नाम जल्द ही पेले हो गया। इस शब्द को कोई अर्थ नही होता है न तो ब्राजील के भाषा में यह शब्द है। पर फुटबाल की दुनियां में सबसे बड़ा अर्थवाला शब्द बन गया।
फुटबाल की दुनियां में वह सूरज के समान बन गये है और रोशनी फैला रहे है। और सूरज की तरह जीवन फैला रहे है। अपने जीवन में उन्होंने 1279 गोल किये है, 92 हैट्रिक है। मेडल और ट्राफी की संख्या सैकड़ो में है। फुटबाल फील्ड पर उन्होंने जादू दिखाया अफसोस उन दिनो टेकनालजी इतनी विकसित नहीं हुई थी जो उसे कैद करती। टेलिविजन बहुत ऊंचे लोगो की पहुंच में था। उस समय के लोग ही इस जादू को बता पाते है। वह रहते हुये पौराणिक कथा के समान हो गये थे। उनके फुटबाल का जादू था खेल के मुशकिल क्षणों में उनके अन्तरमन की सोच ताकत, सन्तुलन, दबंगई, सहनशक्ति बेमिसाल रहती थी। उनकी परिकल्पना जो गोल दाग देती थी। उस समय के कई खिलाडि़यों में भी यह सब गुण थे पर उस स्तर के नही थे जो चकाचौध पैदा कर दे। पेले अपने पैर से सर से ड्रिबलिंग से प्रतिद्वन्दी को दिगभ्रमित कर देते थे। 1974 में प्रोफेशनल फुटबाल को अलविदा कह दिया। इनाग्रल वर्ल्डकप में स्वीडन के खिलाफ 17 साल के पेले ने अपने जंघे पर एक लम्बा पास लिया, अपने सर पर हुक कर दिया, बहुत हलके से छू कर फिर घूम गये और गिरते बाल को जोर से मारा और बाल स्वीडन के गोलकीपर के सर से होते हुये गोल में तब्दील हो गया। यह उनके खेल के जादू का एक छोटा सा टुकड़ा है। ऐसे कई कारनामे उनके खेल में देखने को मिलते थे। हर वर्ल्ड कप में वह गोलकीपर को तरह-तरह के कौशल से भ्र्रमित कर गोल कर दिया करते थे। उन्होंने भीड को अपने खेल से फुटबाल से प्रेम करना सिखा दिया है।
वह अपने खेल के एक गीत कहा करते थे। उन्होने गाने लिखे भी है, गाये भी है, अलबम भी निकाला है। अलबम का महे पेले गिन्गा। 500 गानो में से छाट कर 12 गानो का यह अलबम है। 20 के उम्र में वह जूडो और कराटे के मास्टर बन गये थे। अपने शरीर के लचीलेपन को वह इन्हीं की देन बताते थे।
पेले को सिलम्बर 2021 को लोन कैन्सर से ग्रसित पाया गया इसको लेकर और भी कई उलझने पैदा हो गई थी। 29 नवम्बर को ब्राजील के राओ पालो अस्पताल में भरती किये गये, वही 82 साल के उम्र में उनका निधन हो गया। दुनियां के फुटबाल प्रेमी स्तब्ध है। अवधनामा अखबार की ओर से अश्रुआंजली के साथ श्रद्धान्जली।