अभावों में भी जज्बे की हुई जीत

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Passion wins even in the absence of

अवधनामा संवाददाता अजय श्रीवास्तव

दिव्यांग सोनम राजपूत ने जीता न्यूयॉर्क का सत्यमेव जयते सम्मान

ललितपुर. (Lalitpur) उच्च प्राथमिक विद्यालय घटवार में कक्षा सात की छात्रा सोनम राजपूत ने दोनों हांथो के आभाव में भी चित्रकला प्रतियोगिता में न्यूयॉर्क के सत्यमेव जयते कार्यक्रम में प्रतिभाग कर पाया सम्मान. राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका रिचा अग्रवाल ने बताया कि किस प्रकार सोनम ने अपने जज्बे के साथ अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त किया.

शिक्षिका रिचा अग्रवाल ने बताया कि सोनम राजपूत जोकि उच्च प्राथमिक विद्यालय घटवार में कक्षा सात की छात्रा है, एक हादसे में करंट लगने के कारण उनके दोनों हाथ चले गए,  यह घटना उस समय की है जब वह मात्र 11 वर्ष की थी और वह उस समय ऐसा लगा जैसे मानो सब कुछ थम गया हो. श्रीमती अग्रवाल बताती है कि जैसा कहते है कि भगवान एक दरवाजा बंद करता है तो कोई नया दरवाजा जरूर खुलता है, बस जरूरत है उसे देखने की उसे ढूंढने की, इसी प्रकार सोनम को चित्रकारी का बहुत शौक था और उसने हिम्मत नहीं हारी, उसने अपनी बचे हुए दोनों छोटे छोटे हाथों से ब्रुश पकड़कर चित्र को रंग भरना शुरू किया. उन्होंने बताया कि सोनम इन्हीं छोटे-छोटे हाथों से पेन पेंसिल पकड़कर लिख भी लेती है. सोनम लगातार अभ्यास भी करती रहती है, ऋचा बताती है कि उसकी इस चित्रकारी पर एक दिन प्राथमिक विद्यालय जामुनधाना की शिक्षिका श्रीमती सुधा सचान की नजर पड़ी उन्होंने उसकी द्वारा बनाई हुई चित्रकारी का छोटा सा वीडियो बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर किया.

यह विडिओ मैंने भी देखा. श्रीमती अग्रवाल प्रसन्नता के साथ बताती है कि किस्मत से उसी समय सत्यमेव जयते संस्था के द्वारा दिव्यांग बच्चों के लिए एक प्रतियोगिता चल रही थी जिसमें उनके द्वारा किसी भी हुनर का 2 मिनट का वीडियो साइट पर डालना था तो मैंने श्रीमती सुधा सचान जी के सहयोग से बच्ची के घर जाकर उससे चित्र बनावाकर उसका वीडियो साइट पर डाल कर बच्ची को प्रतियोगिता में प्रतिभाग कराया. जिसके परिणाम स्वरूप सोनम राजपूत ने प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. जिसमें उसे श्री ओम वर्मा सत्यमेव जयते के संस्थापक के द्वारा उसे आशा की किरण सम्मान से सम्मानित किया गया. साथ ही ₹5000 व अन्य पुरस्कार की घोषणा कि गई. ये पुरस्कार उसे कोरियर के द्वारा भेजे जाएंगे। वह ₹5000 सोनम की पढ़ाई पर या उसके इलाज में खर्च किया जाएगा।

इस प्रकार सोनम ने पूरे देश में जिले का गौरव बढ़ाया है, ऋचा कहती है कि जहाँ हम लोग सब कुछ होते हुए भी अपनी नाकामियों पर बहाने ढूंढते रहते हैं वही सोनम हम सबके सामने प्रेरणा स्त्रोत बनकर सामने आई है। और उसने यह साबित कर दिया है कि यदि हम कुछ भी मन में ठान ले तो हमें कोई भी उसे पूरा करने से रोक नहीं सकता है। हम सभी सोनम के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं और आशा करते हैं कि वह इसी तरह अपने हौसलों से उड़ान भरती रहे और हम सभी के सामने एक प्रेरणा स्त्रोत के रूप में अपने आप को स्थापित कर सकें।

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