Sunday, August 10, 2025
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HomeUttar PradeshBarabankiहक़ हुकूक के लिए जारी रहेगा पसमांदा महाज का संघर्ष- वसीम

हक़ हुकूक के लिए जारी रहेगा पसमांदा महाज का संघर्ष- वसीम

 

Pasmanda Mahaj's struggle will continue for Haq Hukuk - Wasim

अवधनामा संवाददाता 

बाराबंकी (Barabanki0a। आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के बैनर तले धारा 341 के माध्यम से प्रदत्त आरक्षण के अधिकार में लगाए गए धार्मिक प्रतिबंध के खिलाफ आज जिलाधिकारी कार्यालय में राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आफताब आलम को ज्ञापन सौंपा गया।
आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राइन की अगुवाई में ज्ञापन देने समय आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के जिलाध्यक्ष नसरुद्दीन अंसारी, क़ुरैशी समाज के जिलाध्यक्ष शादाब क़ुरैशी, सलमानी समाज के जिलाध्यक्ष जुबेर अहमद, सईद राइन, खुर्शीद अंसारी, इसराइल राइन, खलील राइन, वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन, एड अमान गाजी, अंकुर सिंह आदि भी मौजूद रहे। प्रदेश अध्यक्ष वसीम राइन ने कहा कि यह प्रतिबंध दलित मुस्लिम की तरक्की के खिलाफ 10 अगस्त 1950 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार के जरिये संविधान संशोधन अध्यादेश के माध्यम से लगाये गए थे। कांग्रेस नीत सरकार व लीडरान को गैर हिन्दू- गैर सिख दलित जाति के लोगों के हितों का गला घोंटने से ही संतुष्टि नहीं हुई, वर्ष 1958 में पुनः इस अध्यादेश को संशोधन कराते यह बढ़ोतरी भी कि जिन दलितों के पूर्वज कभी हिदू धर्म से निकल गए थे यदि वह पुनः हिन्दू धर्म स्वीकार करें तो उन्हें भी आरक्षण व अन्य सुविधायें मिलेंगी। 1990 में इस अध्यादेश में एक संशोधन करके इसमें बौद्ध दलितों को भी सम्मलित कर दिया गया। इस प्रकार मुस्लिम एवं ईसाई दलित आज भी अपने आरक्षण के संवैधानिक अधिकार से वंचित हैं जिसे असंवैधानिक तरीके से छीन लिया गया है जो कि संविधान की धारा 14 ,15 ,16 और 25 के विपरीत है।
प्रदेश अध्यक्ष वसीम राइन ने पसमांदा समाज से जागने उठ खड़े होने को वक़्त की जरूरत बताया और कहा कि अल्पसंख्यक और सेक्युलरिज़्म के भूत ने हमे आज तक सिर्फ डराया है और हमारा इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि बड़े दर्जे के काबिल-ए-एहतराम मज़हबी नेताओं ने हमे तेजपत्ता बनाकर छोड़ दिया है, और ख़ुद आलू की तरह हर पार्टी में, हर इदारे में, हर संस्था में बड़े पदों पर विराजमान हैं।
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