- बच्चो को व्यायाम और खेल कूद सिखाए
- जरूरी हो तो ही बच्चो को मोबाइल दे
- मोबाइल दिमाग पर उसी तरह असर करता है जैसे नशीला पदार्थ
- बच्चो के बढ़ते दिमाग के न्यूरोसर्किट पर भी असर पड़ सकता है
सैय्यद रहबर मेहदी (अवधनामा संवाददाता)
लखनऊ: बच्चो को व्यस्त रखने के लिए और खुद की जान छुड़ाने के लिए माता पिता या परिवार के लोग बच्चो को मोबाइल थमा देते हैं और उनके मनपसंद प्रोग्रामो को लगाकर उन्हें उसमे घंटो व्यस्त कर देते है
हम अक्सर देखते है खाना खाते वक्त बच्चो को मोबाइल थमा दिया जाता है बड़े लोग जब आपस में बाते करते है तो शोरगुल से बचने के लिए बच्चो को मोबाइल दे देते है,बच्चा अगर रो रहा है तो उसे चुप कराने के लिए मोबाइल दे दिया जाता है
जो कि बच्चो के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है हमे इसे रोकना होगा मोबाइल दिमाग पर उसी तरह असर करता है जैसे नशीले पदार्थ करते है मोबाइल फोन के लगातार इस्तेमाल की नियुरोकेमेस्ट्री वही है जो नार्कोटिक ड्रग की होती है जानकारों के मुताबिक इसे हम अपनी पसंद का डिजिटल ड्रग लेना भी कह सकते हैं जो आज की युवा पीढ़ी के लिए “नशे में सूई की तरह है” हमे इसकी लत लग चुकी है खासकर बच्चो के लिए इसकी लत बहुत खतरनाक हो सकती है सभी को इसके आम नुकसान तो पता है जैसे आंखो में दर्द,सिर दर्द,सुस्ती,चक्कर आना,समय की बर्बादी,अकेलापन वगैरह वगैरह, जबकि हमे ये नही पता कि मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से हमे डिवाइस की भी लत लग सकती है जिसके नतीजे बहुत घातक हो सकते है।
एक बार अगर आपके बच्चे को इसकी लत लग गई तो उसके दिमाग में सुख मिलने वाला तरीका बिगड़ जायेगा फिर आपका बच्चा दर्द और गिरे हुए मनोबल के साथ जीने पर मजबूर हो जाएगा या फिर इससे बुरा भी हो सकता है बहुत कम उम्र में ऐसा होने पर बच्चो के बढ़ते दिमाग के न्यूरोसर्किट पर भी गहरा असर पड़ सकता है जिसके बाद बच्चो के लिए सामान्य हो पाना हमेशा के लिए नामुमकिन हो जाएगा और ऐसा होने पर ये दूसरे नशीले पदार्थो के भी आदि हो सकते हैं।
इसीलिए मेहरबानी करके अपने बच्चो को मोबाइल से दूर रखे
या फिर दे तो कुछ समय के लिए,जिन बच्चो को इसकी लत लग चुकी है उन्हे “डिजिटल डिटॉक्स” की सलाह दी जाती है जिसमे बच्चो से कम से कम तीस दिन के लिए मोबाइल ले लेना चाहिए या बेहद जरूरी हो तो ही देना चाहिए साथ ही बच्चो को एक्सरसाइज और खेल कूद कराना चाहिए ताकि वो मोबाइल फोन से दूर रह सके।
शुरुआत में परिवार के लोग अपने बच्चो को मोबाइल फोन देकर अपने से दूर रखने की कोशिश करते है ताकि वो सुकून से अपना काम कर सके अपनी खुशी के लिए बच्चो को मोबाइल देकर आप उसको मोबाइल का नशेड़ी बना रहे है जो कि ना आपके बच्चे के लिए सही है और ना ही आपके लिए,बच्चो को अपने से दूर रखने की इस तरह की कोशिश कही आपके बच्चो को आपसे सच में दूर ना कर दे “सोचिए” ?