निजी स्कूलों की मनमानी पर अभिभावकों का हाहाकार, कांग्रेस ने सौंपा ज्ञापन।

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निजी स्कूलों द्वारा शैक्षणिक सामग्री जैसे किताबें और कॉपियाँ स्कूल परिसर या विशेष दुकानों से जबरन खरीदवाने की शिकायतों ने अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन उन्हें स्वतंत्र रूप से सामग्री खरीदने की छूट नहीं देता, जिससे महँगी कीमतों पर सामान खरीदना पड़ रहा है। यह न केवल उनकी जेब पर बोझ डाल रहा है, बल्कि उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित विद्यालय (शुल्क का निर्धारण) अधिनियम 2018 का भी खुला उल्लंघन है। इस अधिनियम के तहत कोई भी निजी विद्यालय अभिभावकों पर किसी विशेष स्थान से सामग्री खरीदने का दबाव नहीं बना सकता।

इस समस्या को लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को जोरदार प्रदर्शन किया। पार्टी के जिला अध्यक्ष गोविंद अहिरवार के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी को राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में निजी स्कूलों की मनमानी पर तत्काल अंकुश लगाने की माँग की गई। गोविंद अहिरवार ने कहा, “निजी स्कूल लूट के अड्डे बन गए हैं। एक तरफ कमरतोड़ महँगाई ने आमजन का जीना मुश्किल कर दिया है, ऊपर से स्कूलों की मनमानी ने अभिभावकों पर आर्थिक बोझ और बढ़ा दिया। विशेष दुकानों से किताबें और कॉपियाँ बिकवाकर स्कूल प्रबंधन मोटा कमीशन कमा रहा है।”

ज्ञापन में माँग की गई कि सरकार इस मामले की जाँच करे और अभिभावकों को राहत दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए। इस दौरान जिला प्रवक्ता लक्ष्मी कांत, धर्मेंद्र गुप्ता, राठ नगर अध्यक्ष मुश्ताक खाँ, राजा खान सहित दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
कांग्रेसियों का कहना है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

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