पंचायत चुनाव: पुराने जख्म ताजा कर अहसास करने में लगे हैं मतदाता

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  • अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे, प्रधान भूल गए अपनी औकत
सुधीर पाण्डेय (अवधनामा संवाददाता)
 देवरिया। (Devariya) पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान प्रत्याशियों को ग्रामीणों का ताना खूब सुनने को मिल रहा है। एक गांव में प्रधान पद के एक दावेदार वोट मांगने एक वोटर के पास वोटर ने एडी बात कही कि उस की बोलती बंद हो गई। उसने कहा कि 4 साल पहले बेटे की शादी के बाद दावत में बुलाकर अन्य लोगों को बकरा खिलाए जबकि उसे मुर्गा खिलाकर तोहीन की। इस बात को याद दिलाकर वोटर ने वोट देने से इनकार कर दिया। एक गांव में कई लोग प्रधानी के चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। इस गांव के दर्जनभर वोटरों वाले परिवार के मुखिया ने एक दावेदार पर बेटे की शादी काटने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, उसका आरोप है कि चुनाव में उतर रहे व्यक्ति ने रिश्तेदारों को चौराहे तक पीछा कर उसके बेटे की शादी काट दी।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई। इसके साथ ही ग्राम पंचायतों में प्रधान पद के लिए चुनावी मैदान में उतरने वाले दावेदारों की तस्वीर भी साफ होने लगी है। हालांकि दावेदार महीनों से अपना प्रचार कर रहे हैं और अन्य लोगों से वोट मांग रहे हैं। इस दौरान उन्होंने वोटरों के कई कटु शब्द शिकायतें सुनने को मिल रही है। चुनाव प्रचार के दौरान क्षेत्र के एक गांव की वोटर ने निर्वाचन प्रधान से पिछले साल बीमार होने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने के दौरान देखने नहीं आने की शिकायत की। जबकि प्रधान ने उक्त वोटर को आवास भी दिलवाया है। एक गांव में प्रचार के दौरान जब एक दावेदार दलित बस्ती में वोट मांगने पहुंचे तो एक महिला वोटर ने जरूरत पर उधार पैसा नहीं देने की याद दिलाने लगी। क्षेत्र के एक गांव में वोट मांगने के दौरान प्रधान पद के एक दावेदार से कुछ वोटरों ने कहा कि अस्पताल में उन्होंने खास लोगों को बुलाया था और उन्हें पूछा तक नहीं इसी को लेकर अब वह दूसरे दावेदार के पाले में चले गए हैं। पंचायत चुनाव में वोटर इस तरह की पुरानी बातों को याद दिला कर अपनी तल्खी दिखाते हुए हिसाब चुकता करने लगे हैं। खासकर प्रधान पद के दावेदारों को इस तरह बात तो शिकायतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने वोटरों को सहेजने की नाराजगी शिकायत को दूर करने में पसीने छूटने लगे हैं।
प्रधानी का चुनावी मुद्दा, शौचलय और आवास अहम मुद्दा बना
पंचायत चुनाव की हलचल गांवों में तेज हो गयी है। चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशी सुबह शाम घर-घर जाकर गणेश परिक्रमा करने लगा रहा है। वे मतदाताओ को अनेक तरह के सब्जबाग दिखाकर अपने अपने पाले में करने की जुगत में लग गए है।लोगो की माने तो इस बार के पंचायत चुनाव में आवास और शौचालय ग्राम प्रधानी का प्रमुख मुद्दा बन गया है। यह मुद्दा निवर्तमान प्रधानों के गले की फांस बन गई है, तो वही चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए तुरुप का पत्ता सावित हो सकता है। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओ में  प्रमुख रूप से आवास और शौचालय हैैै।
सरकार की यह मंशा है कि हर घर मे शौचालय हो, तथा बगैर छत का कोई न रह जाए। इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए बिना भेदभाव के बड़े पैमाने पर  ग्राम पंचायतों में धन भेजा गया, लेकिन लोगों की माने उस धन का समुचित लाभ लाभार्थियों को नही मिला है। अधिकांश गावो में शौचालय का पैसा लाभर्थियों को न देकर ठेकेदारी प्रथा से काम कराया गया है। जिसके कारण शौचालय बेमतलब साबित हो गए है। कही कही शौचालय का पैसा दिया भी गया है, तो उसमें भी खेल किया गया है।लोगों की माने तो आवास में भी काफी गड़बड़ झाला हुआ है। हालकि आवास का पैसा लाभार्थी के खाते में आया था, लेकिन दबंग प्रधानों ने उसमे भी अपनी मनमानी करने से नही चुके है। प्रधानों के भय से लाभार्थी अपना मुंह बंद करने में ही अपनी भलाई समझे थे। लेकिन प्रधानी के चुनाव में इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है। इस चुनाव में ये दोनों मुद्दे बनते दिखाई दे रहे है। हालकि परिसीमन में अधिकांश गावो में प्रधानों का समीकरण गड़बड़ हो गया है, लेकिन जहा निर्वतमान प्रधान किसी रूप में पुनः अपनी किस्मत आजमाने उतरे है, उनके लिए आवास और शौचालय गले की फांस बन गया है।
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