अखाडे के बाहर की कुश्ती

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एस एन वर्मा

बहुत दुभग्यिपूर्ण है कि हमारे एथलीट भर खपकर कुछ तो आर्थिक हालत न ठीक होने के बावजूद भी केवल अपने लगन के बल पर खेल के विभिन्न अंगों में महारत हासिल कर राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय खेलों में जगह बनाते है और मेडल लाकर देश को गर्वीन्वित करते रहते है। पर ये जिन संघो से सम्बन्धित होते है उनमें कई बार गम्भीर शिकायतें सुनने को मिलती है। खास कर स्त्री संघो की स्थिति बड़ी नाजुक होती है। अक्सर यौन शोषण के आरोप सामने आते रहते है। एक तो इन संघों पर बड़े नेताओं और बड़े नौकरशाहो का लम्बा कब्जा बना रहता है जिसके दुशपरिणाम में तमाम शिकायते आती रहती है। शासन की तरफ से अभी ऐसी कोई मशीनरी नहीं बनाई गई है जो उठे विवादों का तत्काल निपटारा कराया करे। इन सबके बीच खिलाडि़यों का मनोबल कितना गिरता होगा और उनकी उपलब्धियां पर कितना बुरा असर पड़ता होगा समझा जा सकता है।
खेल जगत में स्त्रियों की स्थिति बड़ी नाजुक है। अक्सर पदाधिकारियों द्वारा यौन शोषण की शिकायते आती रहती है। हालिया मामला कुश्ती संघ का है जिसके अध्यक्ष पर अन्तरराष्ट्रिय उपलब्धियों वाली महिलायें यौन शोषण का अरोप लगा रही है। छह लड़कियांे जो इनसे प्रभावित है उनके साथ वे धरने पर बैठी है। कुश्ती महासंघ अध्यक्ष का इस्तीफा और फेडरेशन को तत्काल भंग कि जाने की मांग कर रही है। पहले उन्होंने शासन और खेल अधिककारियों से बात की कोई ठोस नतीजा नहीं कोई नतीजा न निकालने पर जन्तर मन्तर पर धरने पर बैठ गई है। जब तक संघ विघटित नहीं किया जाता, अध्यक्ष को सजा नहीं मिलती वे धरने पर बैठी रहेगी।
कुश्ती संघ पर अध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह जो 10 साल से कुर्सी पर काबिज है इस साल हटने वाले है और अपने पुत्र को बैठाने वाले है। पहलवान बजरंग यूनिय ने कहा हम उस समय तक धरने पर रहेगे जब तक अध्यक्ष इस्तीफा नहीं देते यह भी कह रही है नहीं तो ब्रजभूषण के खिलाफ कई एफआईआर दाखिल की जायेगी। साई ने जांच के लिये एक कमेटी बनाई है। कमेटी में दो महिला खिलाड़ी भी है। साई का कहना है उन्हें लखनऊ शिविर से किसी यौन शोषण की शिकायत नहीं मिली है। संघ के कार्यालय पर ताला लगा है और पुलिस भी लगायी गयी है।
भारतीय ओलम्पिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा ने कहा है न्याय सुनिश्चित करने के लिय पूरी जांच करेगी। इन घटनाओं के रोकने के लिये एक समिति भी बनायेगी जो इस तरह की घटनाओं के खिलाफ त्वरित कारवाई करेगी। ऊषा महिला है इसलिये महिलाओं का दर्द समझती है। खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ से 72 घन्टे के अन्दर जवाब मांगा है पर अभी तक जवाब नहीं मिला है। मंत्रालय का कहना है। रिपोर्ट मिलने पर कारावाई की जा सकेगी।
इधर यूपी कुश्ती संघ और अन्तरराष्ट्रीय स्तर के कुछ खिलाड़ी ब्रज भूषण सिंह के पक्ष में मोर्चा खोल दिया है। यूपी कुश्ती महासंघ के उपाध्यक्ष का कहना है कि अध्यक्ष सख्त अनुशासन के पक्षपाती है इसलिये स्टार पहलवानो द्वारा आरोप लगाये जा रहे है। पर यह सोचना होगा कोई भी औरत अपनी इज्जत से इस तरह नहीं खेलती है। खेल मंत्री ने अश्वासन दिया है कि आरोप गम्भीर है निष्पक्ष जांच होगी। जूनियर और सीनियर शिविर की महिला पहलवान होगी शिकायतकर्ता। लखनऊ साई सेन्टर ने होने वाला नेशनल कैम्प रोक दिया। मीडिया की भारी भीड़ देख ताला लगा दिया।
संघो को प्रशिक्षक और पदाधिकारियों पर पहले भी आरोप लगते रहे है। कुछ दोषी जेल में बन्द भी हुये है। इस तरह के ममाला की कुछ यादें कुरेदती रहती है। 2003 में महिला क्रिकेट संघ के सचिव पर आरोप लगे थे। 2005 में एक महिला केडीसिंह बाबू स्टेडियम में डारमेटरी में आराम कर रही थी प्रशिक्षक ने उसकी चादर खीच दी। सेक्सुअल हरकते करने लगे। 2015 में यूपी बैडमिन्टन संघ के सचिव और उनके बेटे पर सेक्युअल आरोप लगे थे। बेटो को जेल जाना पड़ा। वे कार्यालय में खिलाडि़यों केा बुलाते थे। 2017 में के डी सिंह बाबू स्टेडियम में एक महिला एथलीट ने प्रशिक्षक पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। अभी हाल में यूपी ओलम्पिक महासचिव पर एक महिला हैन्डबाल खिलाड़ी ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। इसकी एफआईआर भी दर्ज हुई है।
जाहिर है जब अति हो जाती होगी तब खिलाड़ी जबान खोलने पर मजबूर हो जाते होगे। वर्तमान सरकार खिलाडि़यों के लिये बहुत कुछ कर रही है। तुलनात्मक दृष्टि से पहले की अपेक्षा खिलाडि़यों की हालत भी सुधार हो रहे है प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री उनसे भेटकर प्रोत्साहित करते रहते है। अब सरकार से अपेक्षा है कि खेल संघ के लिये ऐसा तन्त्र स्थापित करे जिससे बेटियां सुरक्षित रहे। दोषी के खिलाफ त्वरित न्यायपूर्ण कारवाई की जाये। संघो पर नेताओं और नौकरशाहो काबिज होने से रोके। रिटायर्ड खिलाडि़यों को ही कुर्सी पर बैठाये। मोदी सरकार बहुत से नया काम बेहतरी के लिये कर रही है। खिलाडि़यों को उनसे काफी आशायें है। इस केस में दूध का दूध और पानी का पानी शीघ्र सामने आना चाहिये और दोषी को सख्त सजा मिलनी चाहिये।

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