अवधनामा संवाददाता
बीमारी की चपेट में आए पशुओं को किया गया क्वारंटीन
खड्डा, विशुनपुरा, तमकुहीराज सहित अन्य क्षेत्र लंपी नामक बीमारी के जद में
कुशीनगर। पशुओं में होने वाली संक्रामक बीमारी ‘लंपी’ का प्रकोप कुशीनगर जनपद में तेजी से फैल रहा है। जिले के खड्डा, विशुनपुरा और तमकुहीराज क्षेत्र इस बीमारी के प्रकोप के जद मे है। गांवों में इलाज के लिए पहुंच रही पशुपालन विभाग की टीम पशुओं को लंपी नामक संक्रमक बीमारी से बचाव के लिए पशुपालकों को जागरूक कर रही है। बीमारी की चपेट में आए पशुओं को क्वारंटीन किया गया है।
काबिलेगौर है कि दो वर्ष पूर्व लंपी नामक बीमारी से बचाव के लिए जिले मे टीकाकरण कराये गये। थे। तकरीबन एक पखवाड़े पूर्व दस हजार पशुओं को लगाने के लिए टीका आया था। सूत्रो के मुताबिक 50 हजार और लंपी का टीका जिले को मिला है। बताया जाता है कि अभी तक दस हजार से अधिक पशुओं को टीका लगाया जा चुका है। बीते दिनों तमकुहीराज क्षेत्र के लतवाचट्टी गांव निवासी लल्लन कुशवाहा और सरेया गांव निवासी बसंत गोंड की गाय लंपी की चपेट में हैं। पशु पालकों का आरोप है कि सूचना के बाद भी पशु चिकित्सक गांव मे नहीं आ रहे हैं। नतीजतन प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराना मजबूरी है। गांव के अन्य पशु पालकों में भी चिंता बढ़ गई है। बीमारी की चपेट में आई गायों को क्वारंटीन किया गया है। खड्डा ब्लॉक के हनुमानगंज गांव के पड़रहवा टोला समेत तीन गांव में लंपी की चपेट में कई पशु आ गये हैं। इसके अलावा विशुनपुरा ब्लॉक के सिरसिया दीक्षित समेत दो गांव, पडरौना ब्लॉक के एक गांव में लंपी का कहर है। पशु पालन विभाग की माने तो अभी तक जिले में करीब दो दर्जन पशु ऐसे मिले हैं जिनमें लंपी के लक्षण पाये गये हैं। इसके अलावा जिले के मदनपुर सुकरौली, रामपुर गोनहा, बोधीछपरा, सोहरौना, रामपुर जंगल, छितौनी, खेमनछपरा, दरगौली, लखुआ लखुई, लक्ष्मीपुर पड़रहवा, भेड़िहरवा टोला, पथलहवा, सिसई गांव में लंपी बीमारी की चपेट में पशु आ रहे हैं। अभी तक गांव में पशु पालन विभाग की टीम नहीं पहुंच सकी। पशुपालन विभाग टीकाकरण पर जोर देते हुए लंपी की चपेट में आने वाले पशुओं को क्वारंटीन करने की सलाह दे रहा है।
त्वचा रोग बीमारी है लंपी
चिकित्सकों की माने तो लंपी एक त्वचा रोग बीमारी है जो गाय- भैंस में तेजी से फैलता है। यह विषाणु जनित संक्रामक रोग है। इसलिए बेहद खतरनाक होने के साथ उपचार में भी देरी होती है। लंपी बीमारी एक पशु से दूसरे पशु में फैलता है। लंपी वायरस से संक्रमित पशु को हल्का बुखार रहता है। मुंह से लार अधिक निकलती है और आंख-नाक से पानी बहता है। इसके अलावा पशुओं के लिंफ नोड्स और पैरों में सूजन रहती है। संक्रमित पशु के दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है। गर्भित पशु में गर्भपात का खतरा बना रहता है और कभी.कभी पशु की मौत भी हो सकती है। पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में दो से पांच सेमी आकार की कठोर गांठें बन जाती हैं।
संक्रमित को स्वस्थ पशुओं से अलग रखे
पशुपालन विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि जो पशु संक्रमित हों, उसे स्वस्थ पशुओं से अलग रखें ताकि संक्रमण न फैले। पशुओं के परजीवी कीट, कीलनी, मच्छर, मक्खी, दूषित जल, दूषित भोजन और लार के संपर्क में आने से यह रोग अन्य पशुओं में फैल सकता है। पशुओं के बाड़ों की सफाई रखें। लंपी के लक्षण दिखने पर पशु चिकित्सक से संपर्क करें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना कराये ताकि अगली बार उन्हें किसी तरह का संक्रमण न हो।
जिला पशु चिकित्सा अधिकारी बोले
जिला पशु चिकित्सा अधिकारी रवींद्र कुमार ने बताया कि जिन गांवों में लंपी बीमारी से पशु प्रभावित हैं, वहां के पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है। इलाज के साथ सतकर्ता जरूरी है। दो साल पूर्व जिले में लंपी का टीका लगा था। दस हजार टीका आया था। लेकिन बीमारी बढने पर 50 हजार और मंगाया गया है। गलाघोटू और लंपी का टीकाकरण एक साथ कराया जा रहा है। लंपी की चपेट में आने वाले पशुओं को क्वारंटीन कराया जा रहा है। दो साल पहले लंपी डिजिज का टीका पशुओं को लगाया गया था। अभी जो पशु इसकी चपेट में आए हैं। उनमें ज्यादातर बाहर से खरीदकर लाए गए पशु शामिल हैं।