फाइलेरिया, जिसे हाथीपांव भी कहा जाता है, एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है।
सुल्तानपुर।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, फाइलेरिया वैश्विक स्तर पर दीर्घकालिक विकलांगता का एक प्रमुख कारण है। संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलने वाली यह दुर्बल करने वाली बीमारी अक्सर बचपन में शुरू होती है और धीरे-धीरे लसीका तंत्र को नुकसान पहुँचाती है। यदि समय से इसका इलाज न किया जाए, तो शरीर के विभिन्न अंगों में असामान्य सूजन आ सकती है। फाइलेरिया का प्रभाव शरीर पर दिखने में लगभग 10 से 15 साल लग जाते हैं। दीर्घकालिक जटिलताएँ, जिनमें हाइड्रोसील (अंडकोश की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों में सूजन) और काइल्यूरिया (मूत्र में लसीका की उपस्थिति) जैसी स्थितियों शामिल हैं, प्रभावित व्यक्तियों और समुदायों पर भारी सामाजिकबोझ डाल सकते हैं।
इससे उनकी कार्यक्षमता व आजीविका प्रभावित हो सकती है, और ये सामाजिककलंक को भी बढ़ावा दे सकते हैं। फाइलेरिया एक रोकथाम योग्य बीमारी है। इसकी प्रभावी दवा उपलब्ध है जो कि प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा दी जाती है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल का उपयोग शामिल है, जो विशेष रूप से बच्चों में कृमि संक्रमण के इलाज की दवा है, और इस तरह यह उनके शारीरिक और बौद्धिक विकास को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कार्यक्रम की समग्र रणनीति दो आवश्यक स्तंभों पर आधारित मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) यानि सर्वजन दवा सेवन इसमें शामिल हैं: एल्बेंडाजोल और डीईसी की दो दवाओं का सेवन, एल्बेंडाजोल, डीईसी और आइवरमेक्टिन की तीन दवाओं का सेवन जिससे फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में संक्रमण और बीमारी को नियंत्रित किया जा सके। एमडीए का उद्देश्य आबादी में संक्रमण और उसके बाद बीमारी के विकास को रोकना है।
इस रणनीतिक दृष्टिकोण का उद्देश्य फाइलेरिया कृमियों के संचरण चक्र को बाधित करना है, जिससे नए मामलों की घटनाओं में कमी आए और समुदायों को बीमारी के खतरे से बचाया जा सके।मॉर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता रोकथाम यह स्तंभ उन व्यक्तियों को देखभाल और उपचार प्रदान करने पर केंद्रित है जो पहले से ही फाइलेरिया या इसके अधिक उन्नत रूप, हाथीपांव से पीड़ित हैं। एमएमडीपी का उद्देश्य इस बीमारी से प्रभावित लोगों की पीड़ा को कम करना, उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और विकलांगता को बढ़ने से रोकना है। इसमें घाव की देखभाल, व्यायाम और अन्य सहायक उपाय शामिल हो सकते हैं।फाइलेरिया उन्मूलन अभियान सभी लाभार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
इसलिए फाइलेरिया रोधी दवा की निर्धारित खुराक देने की ज़िम्मेदारी प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को दी गई है। यह दवा पात्र आबादी को निःशुल्क प्रदान की जाती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह दवा व्यक्तियों को स्वयं सेवन के लिए वितरित नहीं की जाती है, बल्कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने इसका सेवन सुनिश्चित कराते हैं। कुछ समूहों को एमडीए से बाहर रखा गया है और इनमें 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति शामिल हैं। यह भी सलाह दी जाती है कि दवा भोजन करने के बाद ली जाए। कुछ व्यक्ति दवा लेने के बाद सामान्य प्रभावों का अनुभव कर सकते हैं जैसे उल्टी, चक्कर आना, खुजली या जी मिचलाना ये लक्षण शरीर में फाइलेरिया कृमियों की उपस्थिति का संकेत हो सकते हैं, जो कि आमतौर पर अस्थायी और स्वतः ठीक हो जाते हैं।
सुलतानपुर में फाइलेरिया की स्थिति
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में जिले के 7 ब्लॉक प्रमुख रूप से फाइलेरिया की चपेट में हैं। जिले में फाइलेरिया के कुल 3182 मरीज़ हैं, जिनमें हाथीपॉव के 3173 और हाइड्रोसील के 9 मरीज़ शामिल हैं। जिले में यहाँ फ़ाइलेरिया की जांच की जाती है।यदि किसी व्यक्ति के फाइलेरिया के लक्षण दिखें तो तुरंत अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र, आयुष्मान आरोग्य मंदिर या आशा कार्यकर्ता से संपर्क करें।अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 104 पर संपर्क कर सकते हैं।