आगामी 13 सितंबर को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर तैयारियां जोरों पर
सिद्धार्थनगर। प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय सिद्धार्थनगर अखिलेश कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में सोमवार को प्री-ट्रायल बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शैलेन्द्र नाथ व परिवार न्यायालय के परामर्शदातागण एवं मध्यस्थता केन्द्र के मध्यस्थगण उपस्थित रहे।
बैठक को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय अखिलेश कुमार पाण्डेय ने आगामी 13 सितंबर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक पारिवारिक मामलों को अधिकाधिक निस्तारित किए जाने पर बल देते हुए कहा कि परिवार न्यायालय के परामर्शदाता, मध्यस्थता केन्द्र के मध्यस्थगण अधिक से अधिक पारिवारिक वादों को सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित किये जाने पर सक्रिय हों।बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि प्री-ट्रायल मीटिंग का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिन मामलों में सुलह की संभावनाएँ हैं, उन्हें चिन्हित कर लोक अदालत के माध्यम से हल कराया जा सके।
इससे पक्षकारों को शीघ्र न्याय मिलेगा और न्यायालयों का बोझ भी कम होगा। प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय ने परामर्शदातागण एवं मध्यस्थता केन्द्र के मध्यस्थगण से अपेक्षा जताई कि वे सहमति योग्य मामलों की सूची प्राथमिकता से तैयार करें और दोनों पक्षों को लोक अदालत में सहभागिता के लिए प्रेरित करें। यह न केवल न्याय का वैकल्पिक मार्ग है, बल्कि संबंधों को पुनः जोड़ने का मानवीय प्रयास भी है। राष्ट्रीय लोक अदालत में पारिवारिक विवादों के समाधान की प्रक्रिया सुलह और समझौते पर आधारित होती है। यहां पर दोनों पक्षों को बैठाकर उनकी चिंताओं और समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनते हैं, और उनके मध्य समझौते के लिए एक उपयुक्त मार्ग प्रशस्त करते हैं।
यह प्रक्रिया न्यायिक प्रणाली को सरल, त्वरित और अधिक सुलभ बनाती है। बैठक में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शैलेन्द्र नाथ ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली है, जो न्यायालयों के बोझ को कम करने और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयोजित की जाती है। इस अदालत में पारिवारिक विवादों से संबंधित मामलों का समाधान भी प्राथमिकता के साथ किया जाता है। पारिवारिक विवाद, जैसे तलाक, संपत्ति बंटवारा, भरण-पोषण, बच्चों की कस्टडी, आदि, अक्सर जटिल और संवेदनशील होते हैं।
ऐसे मामलों में पारिवारिक सदस्य आमतौर पर भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, और सामान्य अदालत की प्रक्रियाएँ इन विवादों को सुलझाने में लंबा समय ले सकती हैं। राष्ट्रीय लोक अदालत में इन विवादों का समाधान सहमति से किया जाता है। इस प्रक्रिया में परिवारों के बीच मध्यस्थता और संवाद को बढ़ावा दिया जाता है, ताकि वे बिना किसी तामझाम के समझौता कर सकें।