अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्र में गौ आधारित प्राकृतिक खेती पर प्रसार कार्यकर्ता/ अधिकारी के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। डा.दिनेश तिवारी, विषय विशेषज्ञ-सस्य विज्ञान ने प्रतिभाग करने वाले प्रसार कार्यकर्ता, अधिकारी को बताया कि कृषक के बहुत ज्यादा मेहनत के बाद भी बाजार आधारित खेती की लागत बढ़ती जा रही है और उत्पादन भी स्थिर हो गया है। पारंपरिक-आधुनिक खेती में किसान उत्पादन प्राप्त करने के लिए पोषक तत्वों के प्रबंधन हेतु सामान्यत: बाजार से क्रय कर यूरिया, डाई अमोनियम फास्फेट आदि उर्वरकों का प्रयोग, खरपतवार प्रबंधन के नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी का प्रयोग तथा कीट-बीमारियों के प्रबंधन के लिए कीट नाशक, कवकनाशक आदि रसायन का प्रयोग करते हैं। मृदा उर्वरता के असंतुलन, प्राप्त उपज की गुणवत्ता खराब होने के साथ ही साथ इस पर सामान्यत: प्रति एकड़ सात हजार से भी अधिक का व्यय होता है। कृषि की लागत बढऩे के साथ ही साथ रसायनों के प्रयोग से मृदा, मनुष्य, पशु और वातावरण के लिए भी हानिकारक होता है। गौ आधारित विषमुक्त प्राकृतिक खेती अपनाकर पारंपरिक/आधुनिक खेती से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। लागत पारंपरिक खेती की अपेक्षा बहुत कम आती है। डॉ दिनेश तिवारी ने प्रतिभागी प्रसार कार्यकर्ता/अधिकारी को नमी सरंक्षण/ खरपतवार नियंत्रण के लिए मल्चिंग/ अच्छादन, बीज शोधन के लिए बीजामृत, पोषक तत्व प्रबंधन के लिए जीवामृत एवं घनजीवामृत, कीट/ रोग के नियंत्रण/ प्रबंधन के लिए नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, दस परणीय अर्क आदि के महत्व, इसके बनाने और कृषि में प्रयोग के बारे मे विस्तृत जानकारी दी गई। भाश कृशअनुशपश-अटारी, कानपुर द्वारा वित्तपोषित आउट स्केलिंग आफ़ नैचुरल फार्मिंग योजना और इसके माध्यम से कृषकों के प्रक्षेत्र पर प्राकृतिक खेती के अंतर्गत मटर में लगाए गए 16 प्रदर्शन के बारे में जानकारी दी गई। भाश कृशअनुशपश-अटारी, कानपुर और बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा से प्राप्त निर्देश के क्रम में रबी 2022-23 में केंद्र पर एक-एक एकड़ में प्राकृतिक खेती, जैविक खेती और पारंपरिक खेती प्रखंड में दलहन फसल के अंतर्गत चना, तिलहन फसल के अंतर्गत अलसी और धान्य फसल के अंतर्गत गेंहू मे चल रही परीक्षण प्रदर्शन का भ्रमण भी कराया गया। डॉ एन0 के0 पांडेय, विषय विशेषज्ञ- कृषि प्रसार ने प्रतिभागियों को कृषको से कम से कम एक एकड़ में प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने को कहा गया। डॉ सरिता देवी विषय विशेषज्ञ-गृह विज्ञान ने प्राकृतिक खेती से प्राप्त उत्पादन के मूल्य संवर्धन और मानवजाति को होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में कृषि विभाग के गिरजेश सिंह यादव, अध्यक्ष- प्रयोगशाला, राम बिहारी निरंजन, विषय वस्तु विशेषज्ञ, रामकिशोर मिश्र, विषय वस्तु विशेषज्ञ, राम रतन वर्मा, विषय वस्तु विशेषज्ञ; मूलचंद्र बर्मा, टीएसी, जितेन्द्र पाटीदार, एडीओ सहित 27 एडीओ, टीएसी, एटीएम, बीटीएम प्रसार कार्यकर्ता/ अधिकारी ने प्रतिभाग किया।