एस. एन. वर्मा
उत्तर पूर्व के राज्यों त्रिपुरा नागालैन्ड और मेघालय को लेकर विधान सभा को के बारे में जो कयास लगाये जा रहे थे उसकी एग्जिट पोल ने भी पुष्टी की थी। नागलैन्ड और त्रिपुरा में भाजपा जीता और मेघालय में कहा गया था किसी को बहुमत नहीं मिला। पर भाजपा चुनाव प्रबन्ध दिन पर दिन निखरता जा रहा है जिसका लाभ भाजपा को बराबर मिलता जा रहा है। प्रबन्धन को लेकर और मतदाताओं को प्रभावित करने को लेकर रोक लगाकर विपक्ष हमेशा असफल होता आ रहा है। इस चुनाव के नतीजो ने भाजपा के आत्मविश्वास को बढ़ा कर उसे सन्तुष्टता दी जबकि विपक्ष को कडवी निराशा दी। मोदी ने पहले से ही नार्थ ईस्ट के इन राज्यों पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया था। जमीन आरएसएस संगठन ने तैयार कर दी थी। वहां के नागरिकों को मोदी ने अहसास दिलाया कि वे उनके विकास के लिये सचमुच कर रहे है। डेवलेपमेन्ट प्रोजेक्ट चला रहे है। कहा जा रहा था कि होने वाले विधान सभाओं के नतीजे भविष्य में होने वाले आम चुनाव के नतीजों की दिशा और दशा बतायेगे। इन तीन राज्यों के चुनाव नतीजों ने विपक्ष को दिशा और दशा के बारे में आगाह कर दिया। कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा से बहुत उम्मीदे जोड़ रक्खी है, राहुल के कद को इस यात्रा से फायदा मिला है दोहरा रही है। त्रिपुरा में लेफ्ट फ्रन्ट और कांग्रेस गठबन्धन किया था पर बाजी भाजपा के हाथ लगी। हालाकि कांग्रेस ने कुछ सीटे जीती है। हालाकि भाजपा की सीटे पहले की अपेक्षा कम हुई है पर उसने इनकम्बेसी फैक्टर के प्रभाव को कम किया। भाजपा के चुनावी कौशल के नमूना देखिये। पहले तो भाजपा को बहुमत मिलते दिखा फिर भाजपा की सीटे कम होनी शुरू हुई। भाजपा मशीनरी तुरन्त क्षेत्रीय दल टिपुरा मोठ के पास पहुची। भाजपा ने टिपुर मोठा राज बनाने के अलावा उनकी सब मांगो को पूरा करने का आश्वासन दिया। पर अन्त आते आते भाजपा को बहुमत मिल गया। यह है चुनावी रण कौशल।
नागालैन्ड में भाजपा एनडीपीजी के साथ वापसी कर रही है और सरकार बनायेगी। मेघायल में भी एनपीपी के साथ मिलकर सरकार बना लेगी।
इस साल छह राज्यों में विधान सभा चुनाव होने है। इनमें कर्नाटक छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश, राजस्थान, अन्ध्रप्रदेश में विपक्ष ने जैसी नार्थईस्ट राज्यो के चुनावों में शिथिलता दिखाई है उससे उसके प्रति कुछ नया करने की आशा नहीं बनती है। जहां वह काबिज है अगर वहां काबिज रह पाती है तो 2024 के आम चुनाव के लिये उसमें उत्साह पैदा होगा। यह बात कांग्रेस के लिये खास माना रखती है।
मोदी नें आते ही नार्थईस्ट पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। इनफा्रस्ट्रक्चर बढ़ाने के लिये काम करना शुरू किया। दौरा भी खुब करते रहे। वहां के नागरिको को अहसास दिलाया सरकार उनके लिये काम कर रही है। मोदी आठ साल में 50 दौरे इस क्षेत्र के किये। जिसका नतीजा चुनाव में सामने आया। त्रिपुरा में मुख्यमंत्री को हटाकर नया मुख्यमंत्री बनाकर चुनाव लड़ा नतीजा सामने है।
कांग्रेस का जनाधार लगातार घट रह है। त्रिपुरा में आदिवासी प्रघोत देव वर्मा के नेतृत्व में कांग्रेस के साथ थे। पर देव वर्मा काग्रेस से अलग हो अलग पार्टी बनाई साथ ही अब वह भाजपा के साथ है तो आदिवासी भाजपा के साथ हो लिये। लेफ्ट और कांग्रेस का गठबन्धन नहीं चला अब कांग्रेस को अलग रणनीति बनानी होगी। कांग्रेस की इन राज्यो के चुनावो पर टिप्पणी है कि ये छोटे राज्य है। राज्य छोटा हो या बड़ा चुनाव तो चुनाव ही होता है।
अब भाजपा इस साल होने वाले छह राज्यों के चुनाव और 2024 में होने वाले आम चुनाव की तैयारी में मशगूल हो गई है। विपक्षी तो अभी साझा विपक्ष बनाने में ही भटके रहे है। इधर कुछ उपचुनाव हुये है उनके नतीजे इसलिये दिलचस्प है कि सत्ता पार्टी को झटके लगे है। जनमत के आगे सब बौने है। विपक्ष अगर अब नहीं सम्भला तो फिसलता ही जायेगा।