आवश्यक वस्तुओं की पैकेजिंग एवं लेबल पर जीएसटी लगाने का किया विरोध

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अवधनामा संवाददाता

सहारनपुर। आवश्यक वस्तुओं पर पैकेजिंग एवं लेबलिंग के नाम पर लगाये जाने वाले कर की अनुशंषा को निरस्त किए जाने की मांग करते हुए व्यापारियों ने आज जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा।
आज सहारनपुर उद्योग व्यापार मण्डल से जुड़े व्यापारी महानगर अध्यक्ष विवेक मनोचा व महामंत्री सुरेन्द्र मोहन सिंह चावला के नेतृत्व में जिला मुख्यालय पहुंचे और खाद्यान्न, गेंहू, आटा, दाल, चावल, शहद को लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट की परिभाषा में लेते हुए प्री-पैकेज्ड एवं प्री-लेबल्ड पर कर संचारण की अनुशंषा जीएसटी के दायरे में लाये जाने के विरोध में नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपते हुए बताया कि ब्राण्डेड जो खाद्य वस्तुएं हैं, उनको भी जीएसटी की निल श्रेणी में लाया जाना चाहिए। बीयूवीएम ने कभी राष्ट्रीय स्तर की कम्पनियांे के ब्राण्ड की वकालत नहीं की। परन्तु जो छोटे-छोटे व्यापारी, छोटे-छोटे उद्योग अपने गांव-कस्बे में अपनी वस्तुओं पर ब्राण्ड लगाकर विक्रय करते हैं। उनको जीएसटी की निल श्रेणी में लाने के लिए आवेदन करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं तथा पूर्व वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कई बार दोहराया है कि आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगाया जायेगा। जीएसटी काउंसिल ने एफएसएसएआई एक्ट का हवाला देकर यानि लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के अनुसार सभी खाद्य वस्तुएं पैकिंग होकर प्रोपर लेवल लगाकर ही बिकेंगी। चाहे वह मण्डी में बिकने वाला गेंहू, धान, दलहन, तिलहन, मसाले एवं कोई भी सामान हो। तिलहन एवं मसाले पहले ही जीएसटी की पांच प्रतिशत के दायरे में आये हुए हैं, तथा चावल मिल का चावल पैक और लेबल लगाकर बिकेगा। इसी तरह आटा मिल का आटा, दाल मिल की दाल पैक एवं लेबल लगाकर बिकेगा और उन पर जीएसटी 18 जुलाई से लगा दिया जायेगा। उन्हांेने कहा कि जीएसटी काउंसिल की इस अनुशंषा से भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के सदस्य जिनमें मुख्यतः 7300 मण्डियां, 13 हजार दाल मीलें, 9600 चावल मीलें, 8 हजार आटा मीलें, 30 लाख छोटी चक्कियों का उत्पादन और 3 करोड़ खुदरा व्यापारियों का व्यापार प्रभावित होगा। उपभोक्ता किरयाने की दुकान से अब एक माह की बजाय 15 दिन का ही सामान खरीदता है। क्योंकि उसकी जेब में महंगाई के कारण घर खर्च चलाने के लिए पैसा ही नहीं रहा। ऐसी स्थिति में वह 40 रूपये की आटे की थैली 42 रूपये में नहीं खरीद पायेगा, जबकि यह आवश्यक है। मोटर साइकिल में पहले भी एक हजार का पेट्रोल डलाता था और महंगा होने के बाद भी एक हजार का ही पेट्रोल डलाता है। उपभोक्ता ने अपनी आवश्यकता कम की है किन्तु आटा, दाल, चावल तो उसे पूरा ही खरीदना पड़ेगा। 80 करोड़ लोगों को भारत सरकार खाद्य वस्तुएं उपलब्ध कराकर उनकी समस्या दूर करती है, परन्तु भारत का 55 करोड़ मध्यमवर्गीय उपभोक्ता जिसमें छोटे-छोटे टेªड व उद्योग भी शामिल है। स्वरोजगार के माध्यम से ही अपने सूक्ष्य आय के स्रोतों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की व्यवस्था करता है। खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाना इनके हितों पर कुठाराघात होगा। उन्होंने मंाग करते हुए कहा कि 28-29 जून की 47वीं जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में भारत सरकार को आवश्यक वस्तुओं पर पैकेजिंग एवं लेबलिंग के नाम पर लगाये जाने वाले कर की अनुशंषा को निरस्त किया जाये। ज्ञापन देने वालों यशपाल मैनी, दीपक राज सिंघल, कृष्ण लाल ठक्कर, राजेन्द्र गुप्ता, राजकुमार विज, राजपाल सिंह, सूरज ठक्कर, मदन लाम्बा, राजीव मदान, सुधीर मिगलानी, मुरली खन्ना, नीरज जैन, सुरेश सलूजा, अशोक नारंग, जयबीर सिंह, राकेश गंभीर, संजीव खरबंदा, फजलुर्रहमान, हरप्रीत सिंह, अभिषेक सोढी, यशपाल डाबरा, मुकेश धनगर, शैल बत्रा आदि मौजूद रहें

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