लखनऊ, 18 नवम्बर 2019। रिहाई मंच नागरिकता के सवाल पर सांप्रदायिक-भेदभावपूर्ण गैरसंवैधानिक नागरिकता बिल का कड़ा विरोध करता है। रिहाई मंच ने कहा की विपक्ष साफ करे कि न वो वाकआउट करेगा, न उसके सदस्य अनुपस्थित रहेंगे और सदन में खड़े होकर देश को बांटने वाली नीति के खिलाफ आवाज़ बुलंद करेंगे।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि असम एनआरसी का अनुभव बताता है कि वहां इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल और दोषपूर्ण थी कि पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के लोग और सेना में तीस साल तक सेवा दे चुके अधिकारी, विधायक और राजनेता तक को उसमें स्थान नहीं मिल पाया।
रिहाई मंच नागरिकता के सवाल पर सांप्रदायिक-भेदभावपूर्ण गैरसंवैधानिक नागरिकता बिल का कड़ा विरोध करता है। रिहाई मंच ने कहा की विपक्ष साफ करे कि न वो वाकआउट करेगा, न उसके सदस्य अनुपस्थित रहेंगे और सदन में खड़े होकर देश को बांटने वाली नीति के खिलाफ आवाज़ बुलंद करेंगे। @RihaiManch
— Rajeev Yadav (@RajeevNizamabad) November 18, 2019
उन जटिलताओं और त्रुटियों को दूर करने के बजाए सरकार के मंत्री और रिमोट से सरकार चला रहे संघ परिवार के लोग मुसलमानों को निशाना बनाते हुए पूरे देश में एनआरसी करवाने की धमकी दे रहे हैं। मुहम्मद शुऐब ने कहा कि संघ के छुपे हुए एजेंडे को प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक से समझा जा सकता है। गृहमंत्री अपने भाषणों में भी कई स्थानों पर कह चुके हैं कि हिंदुओं को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि एनआरसी में स्थान न पाने वाले हिंदू, सिख, बौध, जैन, पारसी, ईसाई समुदाय के सदस्यों को नागरिकता दी जाएगी।
सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। एक तरफ सरकार समान नागरिक संहिता लाने की बात करती है और दूसरी ओर प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक में धर्म के आधार पर भेदभाव करती है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक गैर बराबरी पर आधारित है, भेदभावपूर्ण और संविधान विरोधी है।
रिहाई मंच कार्यालय पर हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि खबरों के अनुसार सरकार इस प्रस्तावित विधेयक को संसद के इसी शीतकालीन संत्र में प्रस्तुत करने का इरादा रखती है। ऐसे में धर्मनिरपेक्ष दलों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस विधेयक का सदन में खासकर उच्च सदन (राज्य सभा) में विरोध करेंगे। इस भेदभावपूर्ण और संविधान विरोधी विधेयक को पारित नहीं होने देंगे। विगत में धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाले कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने राज्य सभा में अनुपस्थित रहकर या वॉकआउट करके परोक्ष रूप से सरकार को समर्थन दिया था।
हम अपेक्षा करते हैं कि प्रस्तावित विधेयक के राज्य सभा में पेश किए जाने के समय वे ऐसा नहीं करेंगे। रिहाई मंच इस बावत राज्य सभा में सदस्यता रखने वाले धर्मनिरपेक्ष दलों को पत्र भी लिखेगा। रिहाई मंच समान विचार वाले जन संगठनों के साथ मिलकर इस मामले को लेकर अभियान चला रहा है। इसे गति देने के लिए जल्द ही जन संगठनों की समन्वय समिति गठित होगी। रिहाई मंच न्याय प्रिय नागरिकों से आह्वान करता है कि वे धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाले दलों के नेताओं से इस विधेयक पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहें।
बैठक में सृजनयोगी आदियोग, रविश आलम, बाकेलाल यादव, गुफरान सिद्दीकी, शकील कुरैशी, राजीव यादव, प्रदीप आदि मौजूद रहे।