आपरेशन ब्लू स्टार की 40वीं बरसी पर आज अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने कौम के नाम संदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि सिखों के मामलों पर दिल्ली की तरफ हाथ फैलाने की बजाए कि धर्म की सेध लेकर चलने वाली राजनीति को दोबारा खड़ा किया जाए। कौम खुद को राजनीतिक रूप से मजबूत करे। इस अवसर पर आयोजित शहीदी समागम में सांसद सरबजीत सिंह खालसा, पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान, संत बलजीत सिंह दादूवाल, मुतवाजी जत्थेदार ध्यान सिंह मंड, भाई जरनैल सिंह सखीरा, अमरबीर सिंह ढोट आदि मौजूद रहे।
संदेश में कहा गया है कि अगस्त 1982 में सिखों को धर्म युद्ध मोर्चा के लिए मजबूर होना पड़ा। इसको कुचलने के लिए देश में आपातकाल के समय अकाली दल की तरफ से किए गए विरोध का बदला सिख कौम से लेने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1984 में 1 से 6 जून तक हरिमंदिर साहिब दरबार साहिब में भारतीय सेना की मदद से हमला करवाया। निहत्थे सिखों को निशाना बनाया गया। अकाल तख्त साहिब को खंडित किया गया। दमदमी टकसाल के 14वें मुखी जरनैल सिंह भिंडरावाला के नेतृत्व फौज का मुकाबला करते हुए शहादत पाई। यह सैन्य हमला सिख कौम के लिए तीसरा घल्लूघारा था। संदेश में आरोप लगाया गया है कि कौम के इंसाफ के लिए लड़ने वाले बंदी सिखों को दशकों पहले सजाएं पूरी होने के बावजूद जेलों से रिहा नहीं किया जा रहा है।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि सिख कौम और खालसा राज के कारण अंग्रेज हुकूमत 100 साल तक पंजाब पर राज नही कर पाई थी। इसे देखते हुए उस वक्त के नेताओं ने वादा किया था कि सिखों को अलग राज दिया जाएगा। मगर, ऐसा हुआ नहीं।