अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी। (Barabanki) रामसनेहीघाट में मस्जिद ध्वस्तीकरण के मामले को सभी गलत ठहरा रहे हैं। भाकपा ने जहां इन हालातों के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया वहीं अधिवक्ता संघ के पूर्व पदाधिकारी ने भी जमकर खिलाफत की है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता रणधीर सिंह सुमन ने कहा है कि अतिक्रमण के नाम पर मस्जिद को ध्वस्त करना वक्फ बोर्ड की प्रापर्टी को नष्ट करना है। इस प्रापर्टी की रक्षा का कार्य जिलाधिकारी का होता है और अगर यह कार्य किसी अधिकारी ने किया है तो वह अवैधानिक एवं कानून राज का उल्लंघन है। मुख्य बात यह है कि उच्च न्यायालय ने कोविड महामारी के मद्देनजर किसी भी ध्वस्तीकरण के लिए मना कर रखा है। वक्फ बोर्ड की धारा छह के तहत एसडीएम को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
उधर जिला बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री नरेन्द्र कुमार वर्मा का कहना है कि रामसनेहीघाट स्थित गरीब नवाज मस्जिद का सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा पुलिसबल के साथ विधि विरुद्ध तरीके से ध्वस्तीकरण कराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसी कार्यवाही तो अंग्रज़ों के जमाने में किये जाने की जानकारी थी। ये जो कार्यवाही हुई है वो उसी दौर की याद ताजा कर गयी। मेरा मानना है कि इस समय देश प्रदेश में नियम कानून नही रह गया है। बल्कि अंग्रेजों के शासन के समान चल रहा है। जनता कोविड की महामारी से पीड़ित है। सरकार अपने उद्देश्यों की पूर्ति में लगी है।जो अति निंदनीय है।
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