मौसम की मार से पूर्वांचल में मिर्च की फसलों में
कुछ देर हो गयी है। अब फल आए हैं। वहीं फूलों पर रोग लगने भी शुरू हो गये। टमाटर इस
वर्ष अच्छा होने की उम्मीद है। केला लगाने का काम अभी चल रहा है। वहीं कई जगहों पर
केले की क्यारियां बन रही हैं। प्याज, फूल गोभी, आलू, मूली आदि के लिए खेत तैयार करने
का मौसम आ गया है।
सब्जी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा. राजेश राय का कहना है कि प्याज
के खेत को अभी जुताई करके कुछ समय के छोड़ देना चाहिए, जिससे खरपतवार सूख जायं। उसका
बीज डालने का प्रबंध करना जरूरी है। अगेती प्याज की खेती के लिए बीज डालने का उपयुक्त
समय है। इसके लिए बीज का डालने से पहले उसका दवाओं के साथ उपचार करना है। वहीं मिर्च
की फसल में फूलों का बचाव बहुत जरूरी है। इस मौसम में फूलों पर कीड़े बहुत लगते हैं।
उसके बचाव के लिए नीम का अर्क जरूर दें। इसके साथ ही बाजार में बहुत सी दवाएं उपलब्ध
हैं, लेकिन दवाओं को बहुत समझकर और सीमित मात्रा में देना चाहिए।
उद्यान विभाग में उपनिदेशक अनीस श्रीवास्तव का कहना है कि किसी भी खेती में खर्च
कम कर अधिक उपज कैसे लिया जाय, इस पर ध्यान देना जरूरी है। किसानों का खर्च इस कारण
ज्यादा होता है कि वे दुकानदार के यहां जाकर रोग बताकर दवा लेते हैं। दुकानदार एक दवा
सही देते हुए चार अन्य दवाएं पकड़ा देता है। इससे एक हजार रुपये जहां खर्च होना चाहिए।
वहां पांच हजार खर्च होना चाहिए। किसानों को पहले अपने मिट्टी के पोषक तत्वों की मात्रा
को जानना चाहिए। उस हिसाब से मिट्टी में पोषक तत्वों को डालना चाहिए।
वहीं सब्जी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा. ए.बी. सिंह का कहना है
कि किसानों को खाद की मात्रा सीमित करना चाहिए। यदि जैविक खाद का प्रयोग करें तो बेहतर
होगा। सबसे उपयुक्त है कि रासायनिक के साथ जैविक का भी प्रयोग करें, जैसे कीटों को
भगाने के लिए सबसे उपयुक्त खैनी का डंठल, पीपल का पत्ता, नीम की पत्ती आदि पत्तियों
का एक ड्रम में डालकर उसमें पांच लीटर गोमूत्र डाल दें। 15 दिन के लिए उसको ढकने के
बाद उसके छान लें और दस लीटर पानी में पांच सौ ग्राम मिश्रण को मिलाकर छिड़काव करें।
इससे फफूद जनित रोग दूर हो जाएंगे।
अगर अक्टूबर महीने में उगाई जाने
वाली सब्जियों की गुणवत्ता की बात करें इसका कोई जवाब ही नहीं है। इस समय उगाई जाने
वाली सब्जियां बिटामिन्स से परिपूर्ण होती हैं। बात अगर ब्रोकली की करें तो यह एक पौष्टिक
इटालियन गोभी है, जिसे मूलत: सलाद, सूप और सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। वहीं,
बंदगोभी एवं पछेती फूलगोभी की रोपाई अक्टूबर में की जा सकती है। इनकी रोपाई करना लाभदायक
रहेगा। ध्यान रहे कि इसकी रोपाई से पूर्व 200-250 क्विंटल खड़ी गोबर की खाद या 80 क्विंटल
नाडेप कम्पोस्ट, 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटाश
प्रति हैक्टेर की दर से खेत में अंतिम जुताई के समय मिला देना चाहिए। इससे अच्छा उत्पादन
मिलता है।
पालक ऐसी सब्जी है जो
एक महीने में ही तैयार हो जाती है। यह विटामिन्स से परिपूर्ण है। पालक का अच्छा उत्पादन
प्राप्त करने के लिए 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टयर बीज की मात्रा पर्याप्त होती
है। पालक की खेती से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए खाद व उर्वरक की संतुलित मात्रा
का ध्यान रखना अति आवश्यक है। भूमि में खाद व उर्वरक की मात्रा का निर्धारण करने के
लिए सबसे पहले खेत की मृदा का परीक्षण करवा लेना चाहिए। यदि किसी कारण से मिट्टी का
परीक्षण समय पर न हो सके तो 25-30 टन प्रति हेक्टयर गोबर की अच्छी सड़ी हुई खाद,
100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम, फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर
की दर से प्रयोग करना चाहिए। इससे उपज अच्छी होती है।