दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव करने की स्वदेशी क्षमता विकसित हुई – ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल बेअसर करना होगा आसान
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा तट से बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम के दूसरे चरण का सफल परीक्षण किया। इसने सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा किया और लंबी दूरी के सेंसर, कम विलंबता संचार प्रणाली और एडवांस इंटरसेप्टर मिसाइलों से युक्त संपूर्ण नेटवर्क केंद्रित युद्ध हथियार प्रणाली को मान्यता दी। अब भारत ने दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव करने की स्वदेशी क्षमता विकसित कर ली है, इसलिए ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल बेअसर करना आसान हो जायेगा।
डीआरडीओ के मुताबिक दूसरे चरण का परीक्षण करने के लिए लक्ष्य मिसाइल को एलसी-IV धामरा से लॉन्च किया गया, जो विरोधी बैलिस्टिक मिसाइल की नकल थी। इसने जमीन और समुद्र पर तैनात हथियार प्रणाली राडार से पता लगाकर इंटरसेप्टर सिस्टम को सक्रिय किया। उड़ान परीक्षण ने लंबी दूरी के सेंसर, कम विलंबता संचार प्रणाली और एमसीसी और एडवांस इंटरसेप्टर मिसाइलों से युक्त पूर्ण नेटवर्क केंद्रित युद्ध हथियार प्रणाली को मान्य करते हुए सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा किया।
इस परीक्षण ने 5000 किमी वर्ग की बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव करने की देश की स्वदेशी क्षमता को प्रदर्शित किया है। मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी जहाज पर लगे विभिन्न स्थानों पर आईटीआर, चांदीपुर में तैनात इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम, राडार और टेलीमेट्री स्टेशनों जैसे रेंज ट्रैकिंग उपकरणों में कैप्चर किए गए उड़ान डेटा से की गई। दूसरे चरण की एडी एंडो-एटमॉस्फेरिक मिसाइल स्वदेशी रूप से विकसित दो चरणीय ठोस प्रणोदित जमीन से प्रक्षेपित मिसाइल प्रणाली है, जिसका उद्देश्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दुश्मन के कई प्रकार के बैलिस्टिक मिसाइल खतरों को बेअसर करना है। मिसाइल प्रणाली में विभिन्न डीआरडीओ प्रयोगशालाओं में विकसित कई अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीकों को शामिल किया गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ की सराहना की और कहा कि इसने एक बार फिर बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा क्षमता का प्रदर्शन किया है।रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने उड़ान परीक्षण में अथक प्रयास और योगदान के लिए डीआरडीओ की पूरी टीम को बधाई दी।