Friday, July 25, 2025
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अब अपने सपनों को हकीकत में बदल सकेंगे युवा, AICTE ने लैब टू मार्केट योजना की स्टार्ट

भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की ओर से टेक्निकल स्टूडेंट्स जो किसी क्षेत्र में सुधार को लेकर कोई विचार या सपना रखते हैं उनके लिए लैब टू मार्केट नाम से एक नई योजना शुरू की गई है। इस योजना के लिए एआईसीटीई की ओर से 60 करोड़ रुपये का फंड तय किया गया है। इस स्कीम के लिए आवेदन 31 जुलाई से शुरू किये जायेंगे।

यदि आप तकनीक के विद्यार्थी हैं और आपके पास किसी क्षेत्र में सुधार को लेकर कोई विचार या सपना है तो अब आप उसे कागजों तक समेट कर मत रखिए। बल्कि उसे साकार करने और उससे देश व समाज को जल्द लाभान्वित करने की सोचिए। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने इसे प्रोत्साहित करने के लिए लैब टू मार्केट नाम से एक नई योजना शुरू की है।
जिसमें युवाओं को इसके लिए जरूरी शोध की व्यवस्था और वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी।

60 करोड़ रुपये के फंड की व्यवस्था

इस योजना के लिए 60 करोड़ के एक विशेष फंड की व्यवस्था की गई है। जिसके साकार होने के बाद उसे बाजार तक भी पहुंचाया जाएगा। एआईसीटीई ने यह पहल ऐसे समय की है, जब हैकथॉन जैसी प्रतिस्पर्धाओं के जरिए युवाओं के विचार तो आ रहे थे, लेकिन उसे आगे बढ़ाने के लिए जरूरी शोध और वित्तीय मदद मिलने में दिक्कत थी। ऐसे में अधिकांश विचार कागजी रूप लेकर ही खत्म हो जा रहे थे। इससे युवाओं के मन में कहीं न कहीं निराशा के भाव भी पैदा हो रहे थे।

एआईसीटीई के मुताबिक इस योजना के तहत एआई, डाटा साइंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, रेयर अर्थ मिनिरल्स, हेल्थ केयर, ग्रीन एनर्जी, दिव्यांगता प्रबंधन या कोई अन्य उभरते हुए तकनीकी क्षेत्र में शोध करने के लिए यह मदद दी जाएगी। इस दौरान प्रत्येक प्रोजेक्ट पर अधिकतम 50 लाख की मदद दी जाएगी। इस योजना में दस करोड़ रुपए पालिटेक्निक संस्थानों के लिए निर्धारित किया गया है। एआईसीटीई के मुताबिक इस पहल से छात्रों के साथ तकनीकी संस्थानों में शोध की गतिविधियां बढ़ेगी। साथ ही ही इससे शिक्षकों में भी एक नया निखार जाएगा। इसका फायदा संस्थानों को विश्वस्तरीय रैंकिंग में जगह बनाने में मिलेगी। मौजूदा समय में देश के बड़ी संख्या में उच्च शिक्षण संस्थान सिर्फ इसलिए विश्वस्तरीय रैंकिंग से बाहर रह जाते है।

इस योजना के तहत एक पोर्टल तैयार किया गया है। जहां छात्र 31 जुलाई तक आवेदन कर सकेंगे। इस दौरान जरूरत के आधार पर किसी भी शोध करने की मंजूरी दी जाएगी। शोध के लिए दी जाने वाली वित्तीय मदद की अवधि दो से तीन वर्ष के लिए होगी।

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