अब यादों में रहेंगे शेर-ए-बुन्देलखण्ड “बड़े दाऊ”

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अवधनामा संवाददाता

पूर्व सांसद सुजान सिंह बुन्देला पंचतत्व में हुये विलीन
अंतिम यात्रा में उमड़ा हजारों लोगों का सैलाब
सिविल लाइन स्थित गढ़ी से पैतृक गांव डोंगरा पहुंची अंतिम यात्रा

ललितपुर। उत्तर प्रदेश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व सांसद सुजान सिंह बुन्देला “बड़े दाऊ” का गुरूवार की शाम निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनकर शहर में शोकलहर दौड़ गयी। लम्बे समय तक राजनीति में सक्रिय रहकर ललितपुर को उत्तर प्रदेश ही नहीं वरन देश की राजधानी तक पहचान दिलाने वाले पूर्व सांसद सुजान सिंह बुन्देला “बड़े दाऊ” को शेर-ए-बुन्देलखण्ड के नाम से भी संबोधित किया जाने लगा था। शुक्रवार को स्थानीय पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने गढ़ी पहुंच कर पूर्व सांसद को गार्ड ऑफ ऑनर देकर तिरंगा झण्डा समर्पित किया। तदोपरान्त उनकी अंतिम यात्रा हजारों लोगों के बीच निकाली गयी।
सुबह से ही ललितपुर के अलावा गैर प्रान्त व जनपदों, महानगरों से कई नामचीन हस्तियों, नेताओं, उद्योगपतियों का जमाबड़ा लगने लगा था। कांग्रेस से पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन आदित्य, प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी, पूर्व एमएलसी श्याम सुन्दर सिंह यादव, पूर्व सांसद डा.चन्द्रपाल सिंह यादव, पूर्व विधायक गरौठा बृजेन्द्र व्यास डमडम महाराज, चन्देरी विधायक गोपाल सिंह डग्गी राजा, यादवेन्द्र सिंह पूर्व विधायक टीकमगढ़, कालपी पूर्व विधायक विनोद चतुर्वेदी, मऊरानीपुर विधायक रश्मिी पप्पू आर्या, राजेन्द्र यादव राजू बबीना, पूर्व विधायक राजेश खैरा, पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा, बालकृष्ण नायक नन्ना, ब्लाक प्रमुख बबीना तेजसिंह घिसौली के अलावा अनेकों लोग पहुंचे हुये थे। गढ़ी के विशाल मैदान में अंतिम दर्शन के लिए “बड़े दाऊ” के पार्थिव शरीर को रखा गया था। जहां लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुये अश्रुपूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित कर “बड़े दाऊ” के प्रति अपना शोक व्यक्त करते हुये शोकाकुल परिवार को धैर्य धारण करने की ईश्वर से कामनाएं की। वहीं दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हर कोई अपने आराध्य से प्रार्थना करता नजर आया। पूर्व सांसद सुजान सिंह बुन्देला के भाई वीरेन्द्र सिंह बुन्देला, पुत्र चन्द्रभूषण सिंह उर्फ गुडडू राजा, शशिराजा बुन्देला, पवन राजा के अलावा अन्य परिजनों की मौजूदगी में अंतिम यात्रा शुरू हुयी। गढ़ी से जैसे ही अंतिम यात्रा शुरू हुयी तो माहौल गमगीन हो उठा। “बड़े दाऊ” अमर रहें के जयघोष को लेकर लोगों का हुजूम उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ पड़ा। “बड़े दाऊ” के पार्थिव शरीर को सिविल लाइन स्थित गढ़ी से उनके पैतृक गांव डोंगरा ले जाने के लिए बड़ा ट्रक सजाया गया था, जिसमें उनके परिजन व कई वरिष्ठ लोग सवार थे। शहर के मध्य से जैसे ही “बड़े दाऊ” के पार्थिव शरीर की अंतिम यात्रा निकाली गयी तो लोगों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। शहर भर में फूलों की बारिश की गयी, वहीं लोगों ने हाथ जोड़कर “बड़े दाऊ” को अलविदा कहा। शहर के बीच से होकर निकाली गयी अंतिम यात्रा जैसे ही हाई-वे पहुंची तो ट्रक के पीछे गाडिय़ों का विशाल काफिला चल रहा था। डोंगरा पहुंचने पर अंत्येष्ठि के दौरान ज्येष्ठ पुत्र चन्द्रभूषण सिंह बुन्देला उर्फ गुडडू राजा ने उन्हें मुखाग्नि दी। “बड़े दाऊ” के पंचतत्व में विलीन होने के बाद लोगों की आंखों में नमी छा गयी। कई ऐसे लोग भी रहे जो फूट-फूटकर रोते-बिलखते दिखे।
विदेशों में चल रहा था इलाज
पूर्व सांसद सुजान सिंह बुन्देला कैंसर जैसी घातक बीमारी से ग्रसित थे। उनके सुपुत्र गुडडू राजा बुन्देला ने उन्हें बेहतर उपचार के लिए भारत के बड़े-बड़े चिकित्सकों से परामर्श कर उपचार कराया। लेकिन हालत में सुधार न होने पर गुडडू राजा अपने पिता को अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी उपचार के लिए ले गये। जहां से उनका उपचार चल रहा था।
संघर्षों से भरा रहा प्रधानी से सांसद बनने तक का सफर
उन्यासी वर्ष की आयु में अंतिम सांस लेने वाले पूर्व सांसद सुजान सिंह बुन्देला का संपूर्ण जीवन लोगों की सेवा और जिले के बेहतर विकास को समर्पित रहा। लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई ग्राम प्रधान से लेकर सांसद तक का सफर तय करने वाले “बड़े दाऊ” का जीवन संघर्षमय रहा। 1 जून 1946 को जन्में डोंगरा गांव में जन्में बड़े दाऊ ने 1965 में राजनैतिक सफर गांव का प्रधान बनकर शुरू किया था। इसके बाद वह 1974 में पहली बार सांसद बने और फिर 1999 में फिर सांसद बनकर जिले का विकास किया।
समाजवादी पार्टी ने ट्विटर से जताया शोक
पूर्व सांसद सुजान सिंह बुन्देला के निधन पर समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अपने ट्विटर हैण्डिल से शोक संदेश सोशल मीडिया पर प्रसारित करते हुये शोक व्यक्त किया है।

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